आध्यात्मिकता अनादि काल से भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रही है। लेकिन समय के साथ इस शब्द का गलत इस्तेमाल बढ़ता चला गया। आजकल दुनिया में अधिकतर लोगों को विशेषकर युवा वर्ग को आध्यात्मिकता के नाम से ही एक तरह की एलर्जी हो गई है। इसका कारण यह है कि spirituality को बिलकुल गलत तरीके से पेश किया जा रहा है।
आमतौर पर लोग यह मानते हैं कि आध्यात्मिक लोगों को जीवन का आनंद लेना और हर तरीके से कष्ट झेलना जरूरी है। जबकि सच्चाई यह है कि आध्यात्मिक होने का आपके बाहरी जीवन से कोई लेना देना नहीं है।
देखिए, आध्यात्मिकता का धर्म, संप्रदाय,फिलोसोफी , या मत से कोई लेना- देना नहीं है। आप अपने अंदर से कैसे हैं, यहीं आध्यात्मिकता को दर्शाता है।
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| what is spirituality means |
आध्यात्मिक होने का मतलब है, जो भोतिक से परे है उसका अनुभव कर पाना। अगर आपको बोध है कि आपके दुख ,आपके क्रोध,आपके क्लेश के लिए कोई और जिम्मेदार नहीं है। बल्कि आप खुद इनके निर्माता है, तो आप अध्यात्मिक मार्ग पर है। आप जो भी कार्य करते हैं अगर उसमें केवल आपका हित न होकर सभी की भलाई निहित है, तो आप आध्यात्मिक हैं।
अगर आप अपने अहंकार, क्रोध, नाराजगी ,लालच, ईर्ष्या और पूर्वाग्रहों को गला चुके हैं, तो आप आध्यात्मिक हैं। बाहरी परिस्थितियां चाहे जैसी हो, उनके बावजूद भी अगर आप अपने अंदर से हमेशा प्रसन्न और आनंद में रहते हैं, तो आप आध्यात्मिक है।
अगर आप इस सृष्टि की विशालता के सामने खुद को नगण्य, एक बुलबुले की भांति जो एक निश्चित समय के पश्चात हवा में विलीन हो जाएगा, उसका अहसास रहता है तो आप आध्यात्मिक है। आपके पास अभी जो कुछ भी है उसके लिए अगर आप प्रकृति या किसी परम सत्ता जो भी जिसे आप मानते हैं, उसके प्रति कृतज्ञता महसूस करते हैं, तो आप आध्यात्मिकता की ओर बढ़ रहे हैं।
अगर आप में व्यक्तिगत हितों के लिए ही नहीं बल्कि सामाजिक हितों के लिए भी प्रेम उमड़ता है। तो आप आध्यात्मिक है।
आध्यात्मिक होने का अर्थ है कि आप अपने अनुभव के धरातल पर जानते हैं, कि मैं खुद अपने आनंद का स्रोत हूँ। आध्यात्मिकता ऐसी कोई चीज नहीं है, जो आप मंदिर, मस्जिद, या चर्च में करते हैं। यह केवल आपके अंदर ही घटित हो सकती है।
अगर आप इस सृष्टि की विशालता के सामने खुद को नगण्य, एक बुलबुले की भांति जो एक निश्चित समय के पश्चात हवा में विलीन हो जाएगा, उसका अहसास रहता है तो आप आध्यात्मिक है। आपके पास अभी जो कुछ भी है उसके लिए अगर आप प्रकृति या किसी परम सत्ता जो भी जिसे आप मानते हैं, उसके प्रति कृतज्ञता महसूस करते हैं, तो आप आध्यात्मिकता की ओर बढ़ रहे हैं।
अगर आप में व्यक्तिगत हितों के लिए ही नहीं बल्कि सामाजिक हितों के लिए भी प्रेम उमड़ता है। तो आप आध्यात्मिक है।
आध्यात्मिक होने का अर्थ है कि आप अपने अनुभव के धरातल पर जानते हैं, कि मैं खुद अपने आनंद का स्रोत हूँ। आध्यात्मिकता ऐसी कोई चीज नहीं है, जो आप मंदिर, मस्जिद, या चर्च में करते हैं। यह केवल आपके अंदर ही घटित हो सकती है।
एक विद्यार्थी के जीवन में आध्यात्मिकता का क्या स्थान है -
इस सवाल का जवाब ईशा फाउंडेशन के संस्थापक और आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव कुछ इस प्रकार देते हैं, वे बताते हैं कि आध्यात्मिक प्रक्रिया का अर्थ यह है, कि आप जिज्ञासु बन गए हैं और समाधान खोज रहे हैं। एक धार्मिक व्यक्ति का मतलब है, कि वह सिर्फ विश्वास कर लेने वाला व्यक्ति है। दुर्भाग्यवश आज जो शिक्षाविद और वैज्ञानिक भी विश्वास करने वाले बनते जा रहे हैं। लेकिन एक विद्यार्थी का आध्यात्मिक जिज्ञासु होना बिल्कुल सही जुगलबंदी है। क्योंकि कोई भी सुस्त जीवन, जीवन एक स्वभाविक आध्यात्मिक जिज्ञासु होता है।
यह आवश्यक नहीं है कि वे अपनी इस तरह की पहचान बनाए लेकिन वे हर चीज के बारे में जानना चाहते हैं। इसका अर्थ यही है कि आप एक आध्यात्मिक जिज्ञासु ही है। लेकिन क्या आपने अपनी जिज्ञासाओ को इस तरह से व्यवस्थित कर लिया है, कि आप एक परिणाम तक पहुंच सके या आप बस एक और ऐसे व्यक्ति हैं, जो छोटी आयु में यह या वह प्रश्न पूछता है, लेकिन 30 साल की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते सब कुछ भूल जाता है। और अपना जीवन बस खाने-पीने, धन दौलत या किसी और चीज के पीछे पड़ने में लगा देते हैं, अधिकतर लोग ऐसे ही जी रहे हैं।
अगर आप प्रश्नों को जीवित रखते हैं तो आप स्वभाविक रूप से आध्यात्मिक जिज्ञासु है। युवावस्था वह समय नहीं है, जब आपको निश्चितता खोजनी चाहिए, आपको खुद को ऐसे तैयार करना चाहिए कि आप अनिश्चितताओं को संभाल सकें इसके लिए आपको एक आध्यात्मिक प्रक्रिया की जरूरत है।
एक वयस्क व्यक्ति को लगता है कि वह सब कुछ जानता है, लेकिन वह जानता है कि वह कुछ नहीं जानता। आध्यात्मिक प्रक्रिया का अर्थ है कि आप अनिश्चितताओ का उत्सव मनाए। हम जानते हैं कि ये जीवन अनिश्चित है, और हम यह प्रयास कर रहे हैं कि अनिश्चितताओं को संभालने के लिए हम अपने आपको तैयार करें, बजाय इसके कि हम निश्चितता की झूठी समझ बनाएं। आपको लोग झूठी दिलासा देते रहते हैं कि अरे! ईश्वर सब ठीक कर देगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं होता आपने जो ठीक किया है, वो ठीक हुआ और जो ठीक से नहीं किया वहां गड़बड़ हो गई। लेकिन अनिश्चतताए इतनी ज्यादा है कि हम चाहे सब कुछ ठीक करें, कल सुबह हम मर सकते हैं। ऐसा संभव है, अनिश्चितताओं का यह ब्रह्मांड आपको जीवन में अनिश्चितताओं को संभालने के लिए निश्चितता का झूठा दिलासा दिए बिना, आशा, विश्वास एवं विचारधाराओं के साथ तैयार करेगा।
अगर आप अपने कमरे में ही रहते हैं, तो वहाँ 90% बातें आपकी इच्छा के अनुसार ही होगी, और अगर आप पूरे नगर को अपना इलाका मानते हैं तो 50% आपके अनुसार होगा और बाकी 50% अनिश्चित। इसे समझने की कोशिश कीजिये।
अंत में हम इस आलेख को सद्गुरु के एक अध्यात्मिकता से जुड़े विचार के साथ ही इति श्री करना चाहेंगे। वे कहते हैं की ''आध्यात्मिकता विशेष बनने के बारे में नहीं है, यह सब कुछ के साथ एक बनने के बारे में है''।
आध्यात्मिकता से जुड़े अन्य कई पहलुओं के बारे में हम अपनी अगली पोस्ट में विस्तार से चर्चा करेंगे। आप इस आलेख को शेयर करके अन्य कई लोगों को आध्यात्मिक जिज्ञासु बना सकते हैं, तो चलिए इसी तरह हमारे ब्लॉग Jigyasu india के साथ बने रहिए और ज्ञान के गोते लगाते रहिए।
एक वयस्क व्यक्ति को लगता है कि वह सब कुछ जानता है, लेकिन वह जानता है कि वह कुछ नहीं जानता। आध्यात्मिक प्रक्रिया का अर्थ है कि आप अनिश्चितताओ का उत्सव मनाए। हम जानते हैं कि ये जीवन अनिश्चित है, और हम यह प्रयास कर रहे हैं कि अनिश्चितताओं को संभालने के लिए हम अपने आपको तैयार करें, बजाय इसके कि हम निश्चितता की झूठी समझ बनाएं। आपको लोग झूठी दिलासा देते रहते हैं कि अरे! ईश्वर सब ठीक कर देगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं होता आपने जो ठीक किया है, वो ठीक हुआ और जो ठीक से नहीं किया वहां गड़बड़ हो गई। लेकिन अनिश्चतताए इतनी ज्यादा है कि हम चाहे सब कुछ ठीक करें, कल सुबह हम मर सकते हैं। ऐसा संभव है, अनिश्चितताओं का यह ब्रह्मांड आपको जीवन में अनिश्चितताओं को संभालने के लिए निश्चितता का झूठा दिलासा दिए बिना, आशा, विश्वास एवं विचारधाराओं के साथ तैयार करेगा।
अगर आप अपने कमरे में ही रहते हैं, तो वहाँ 90% बातें आपकी इच्छा के अनुसार ही होगी, और अगर आप पूरे नगर को अपना इलाका मानते हैं तो 50% आपके अनुसार होगा और बाकी 50% अनिश्चित। इसे समझने की कोशिश कीजिये।
अंत में हम इस आलेख को सद्गुरु के एक अध्यात्मिकता से जुड़े विचार के साथ ही इति श्री करना चाहेंगे। वे कहते हैं की ''आध्यात्मिकता विशेष बनने के बारे में नहीं है, यह सब कुछ के साथ एक बनने के बारे में है''।
आध्यात्मिकता से जुड़े अन्य कई पहलुओं के बारे में हम अपनी अगली पोस्ट में विस्तार से चर्चा करेंगे। आप इस आलेख को शेयर करके अन्य कई लोगों को आध्यात्मिक जिज्ञासु बना सकते हैं, तो चलिए इसी तरह हमारे ब्लॉग Jigyasu india के साथ बने रहिए और ज्ञान के गोते लगाते रहिए।
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