Day 1 Monday
① संज्ञानात्मक बुद्धि के सन्दर्भ मे संज्ञानात्मक उपागम के अनुसार बुद्धि के तीन प्रकार बताइए? (20 Words)
उत्तर
इस सिद्धांत के अनुसार, बुद्धि मूलतः तीन प्रकार की हैः
i) घटकीय या विशलेषणीय बुद्धि (componential/analytic intelligence):
यह गहन और विशलेषणात्मक विचार करने की दक्षता है। यह IQ अंकों और कॉलेज (महाविद्यालय) में प्राप्त अंकों से परिलक्षित होता है।
ii) आनुभविक अथवा सृजनात्मक बुद्धि (experiential/creative intelligence),
अंतदर्षष्ट (insight) और नई अवधारणाओं को प्रतिपादित करने की क्षमता पर केन्द्रित होता है। यह पुराने अनुभवों को सृजनात्मकता प्रयोग कर नई समस्याओं का समाधान करता है।
iii) सांदर्भिक अथवा व्यावहारिक बुद्धि (contextual/practical intelligence),
दिनचर्या के कार्यों में पर्यावरण की मांग के अनुसार उनसे निपटने की क्षमता है। इसे अन्यथा स्ट्रीट स्मार्टनेस के रूप में भी जाना जाता है।
② संज्ञानात्मक बुद्धि क्या है, इस सन्दर्भ में सज्ञानात्मक उपागम को समझाइए । (50 Words)
उत्तर :
किसी विषय के प्रति संवेदनशीलता, समझ विभेदन क्षमता, समस्या समाधान, तार्किक निर्णय व प्रभावी सम्प्रेषण की योग्यता ही संज्ञानात्मक बुद्धि है।
बुद्धि का संज्ञानात्मक उपागम बुद्धि की संरचना पर केन्द्रित नहीं है अपितु यह व्यक्ति की बुद्धि में अन्र्त्तनिहित प्रक्रियाओं पर केन्द्रित है। वह बुद्धि की प्रकृति को समझने के लिए सूचना प्रक्रमण उपागम का प्रयोग करते हैं। संज्ञानात्मक उपागम को निम्न घटकों से समझा जा सकता हैं।
ज्ञानर्जन (knowledge acquisition) घटकः इसका प्रयोग संकेतीकरण, सूचना की तुलना और नए तथ्यों को सीखने के लिए किया जाता है।
निष्पादन (performance): इसका प्रयोग समस्या समाधान की रणनीति और तकनीक के लिए किया जाता है।
अधिघटक (metacognitive) घटकः इसमें एक रणनीति का चयन करके संज्ञानात्मक प्रक्रिया की प्रगति की निगरानी करना है।
3 बास व रिगियो के अनुसार नेतृत्व के परिवर्तनकारी सिद्धांत के चार आयामों को सूचीबद्ध कीजिए ? (20 Words)
उत्तर
बास एवं रिगियो (Bass & Riggio) के अनुसार नेतृत्व के परिवर्तनकारी सिद्धांत के चार पहलू है -
i. आदर्श प्रभाव (Idealised Influence-II)- नेता रोल मॉडल होते हैं जो उच्च नैतिक मानदण्ड (Moral & Ethical Standard) प्रदर्शित करते हैं।
ii. प्रेरणादायक प्रभाव (Inspirational Motivation-IM)- नेता विभिन्न तरीकों से अनुयायियों को प्रेरित करते हैं।
iii. बौद्धिक उत्तेजना (Intellectual Stimulation-IS)- नेता अनुयायियों की बौद्धिक क्षमता को उत्तेजित करता है अर्थात् सोचने-विचारने के तरीकों में नयापन लाते हैं।
iv. व्यक्तिगत विचार (Individualised Consideration-IC)- इसमें नेता अधीनस्थों के विकास की व्यक्तिगत जरुरतों पर अधिक ध्यान देते हैं ताकि सफलता प्राप्त हो सकें।
NOTE :
नेतृत्व का परिवर्तनकारी सिद्धांत (Transformational Theory of Leadership)
यह नेतृत्व सिद्धांत नेता में करिश्माई गुण आवश्यक मानता है क्योंकि इसी के द्वारा अधीनस्थों की रूचि में बदलाव तथा क्षमताओं का संवर्धन किया जा सकता है।
इस प्रकार के नेतृत्व में नेता अधीनस्थों की चिंताओं तथा संस्थान के विकास दोनों पर ध्यान देता है तथा अनुयायियों को किसी पुरानी समस्या को नए नजरिये से देखने को प्रेरित करता है ताकि संस्था के लक्ष्यों की प्राप्ति की जा सकें।
4 याख्यात्मक टिपणी लिखिए। ( 50 Words)
A नेतृत्व की प्रभावशाली और प्रभावहीन शैलियां।
विलियम रेडिन ने नेतृत्व त्रिआयामी मॉडल में बताया कि व्यावहारिक या पारिस्थितिजन्य कारक किसी भी नेतृत्व शैली को प्रभावशाली या अप्रभावशाली बनाते है। उसके आधार पर रेडिन ने आठ नेतृत्व शैलियाँ बताई जिनमें से चार प्रभावशाली एवं चार अप्रभावशाली बताई।
1. प्रभावशाली शैली (Effective Style)
i. कार्यकारी (Executive) इसमें व्यक्ति एवं कार्य दोनों पर ध्यान दिया जाता है। इस शैली को अपनाने वाला नेता अच्छा प्रेरणा स्त्रोत होता है जो व्यक्तिगत विभिन्नताओं को पहचानता है। नेता उच्च मानदण्ड स्थापित करते है तथा टीम प्रबंधन को महत्व देते है।
ii. विकासकारी (Developer) इसमें उच्च संबंध उन्मुखता एवं निम्न कार्य उन्मुखता का समन्वय होता है। नेता कर्मचारियों पर पूर्ण विश्वास करते हैं। नेता का मुख्य सरोकार व्यक्तियों का विकास करना होता है।
iii. नौकरशाही (Bureaucratic) इसमें व्यक्ति एवं कार्य दोनों से ही कम संबंध होता है। नेता का काम नियमों एवं प्रक्रियाओं का पालन करना है।
iv. हितकारी तानाशाही (Benevolent Autocratic) कार्य को अधिक एवं व्यक्ति को कम महत्व। इसमें नेता जानता है कि वो क्या चाहता है एवं जो वह चाहता है इसे बिना विरोध के कैसे करवाना है।
2. अप्रभावशाली शैली (Ineffective Style)
i. मिशनरी (Missionary) यदि नेतृत्व उच्च संबंध उन्मुखता तथा अल्प कार्य उन्मुखता अपनाता है जबकि परिस्थिति ऐसी है, जिसमें इनमें से कोई भी व्यवहार उपयुक्त नहीं है तो नेता को निष्प्रभावी माना जाता है। इस शैली का प्रयोग करने वाला नेता सदैव समझौते करने के मूड में रहता है, जिससे संस्था में सामंजस्य बना रहे।
ii. समझौतावादी (Compromiser) यह शैली एक ऐसी परिस्थिति में कार्य तथा व्यक्ति दोनों को ही अत्यधिक महत्त्वपूर्ण समझती है, जिसमें या तो किसी एक पर बल देने की आवश्यकता है अथवा किसी पर भी नहीं। इस शैली का प्रयोग करने वाले अच्छे नेता नहीं माने जाते हैं, वे सही निर्णय नहीं ले पाते हैं तथा आसानी से दूसरों के दबाव में आ जाते हैं
iii. पलायनवादी (Deserter)- इससे तात्पर्य है कार्य तथा व्यक्ति दोनों से न्यूनतम सम्बद्धता, जबकि परिस्थिति में दोनों से कोई भी उपयुक्त नहीं हैं। सामान्यतया ऐसे नेताओं में संस्था तथा कार्य के प्रति तटस्थता पाई जाती है तथा संलग्नता का अभाव रहता है।
iv. तानाशाही (Autocratic) इसमें कार्य से अत्यधिक सम्बद्धता रहती तथा व्यक्ति से न्यूनतम। जबकि परिस्थिति ऐसी है कि दोनों में से एक भी उपयुक्त नहीं है। ऐसे नेता को दूसरों में विश्वास नहीं होता है। उनकी रुचि केवल कार्य को पूरा करने में रहती है तथा वह व्यक्तियों की बिल्कुल परवाह नहीं करता है।
B नेतृत्व के कार्य ।
नेतृत्व के कार्य
एक प्रबंधक के नेतृत्व के कार्य उसके प्रबंधकीय कार्यों से घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित हैं। परन्तु वे कुछ भिन्न और दोहरापन लिए हुए हैं। मूलतः नेता को एक प्रबंधक के रूप में दलीय लक्ष्यों को निर्धारित करना होता है, योजनाएँ बनानी होती हैं, अधीनस्थों को अभिप्रेरित और प्रेरित करना होता है तथा निष्पादन का पर्यवेक्षण करना होता है। परन्तु उसे नेता के रूप में अनेकों और कार्य करने होते हैं। इनमें से कुछ अधिक महत्वपूर्ण कार्य निम्नलिखित हैं :
1) सामूहिक काम को विकसित करना
नेता के प्राथमिक कार्यों में से एक है अपने कार्यदल को एक समूह के रूप में विकसित करना। यह उसका उत्तरदायित्व है कि अधीनस्थों की समर्थता, आवश्यकताओं और अन्तर्निहित योग्यताओं को ध्यान रखते हुए काम का अनुकूल वातावरण बनाए।
2) कार्यदल के प्रतिनिधि के रूप में काम करना
एक कार्यदल के नेता से दल और उच्च प्रबन्ध के बीच एक सम्पर्क सूत्र के रूप में काम करने की आशा की जाती है। जब भी आवश्यक हो, नेता को अपने अधीनस्थों की समस्याओं और शिकायतों को उच्च प्रबंधकों तक पहुँचाना होता है।
3) काम पर लगे व्यक्तियों के परामर्शदाता के रूप में कार्य करना
जहाँ अधीनस्थों को अपने काम के निष्पादन में किसी प्रकार की कठिनाई का सामना करना पड़ता है, वहाँ नेता को सम्बद्ध अधीनस्थों को सलाह देना और उनका पथ- प्रदर्शन करना पड़ता है। समस्याएँ स्वरूप में तकनीकी या भावनात्मक हो सकती हैं।
4 समय प्रबंधन
नेता का काम केवल यह सुनिश्चित करना नहीं है कि दल द्वारा किया जाने वाला काम किस्म और कार्यकुशलता की दृष्टि से ठीक है, बल्कि उसे यह भी देखना पड़ता है कि काम के विभिन्न चरण पूर्वनिर्धारित समय सारिणी के अनुसार पूरे किए जा रहे हैं।
5) सत्ता का सही प्रयोग
अपने अधीनस्थों पर सत्ता या अधिकार का प्रयोग करते समय नेता को परिस्थिति के अनुसार अपनी सत्ता को विभिन्न ढंगों से प्रयोग करने के बारे में सतर्क रहना चाहिए। इस बात को ध्यान में रखते हुए कि कैसे अधीनस्थों को सकारात्मक प्रतिक्रिया को प्रोत्साहित किया जाएगा, पुरस्कार, शक्ति, उत्पीड़न शक्ति, विशेषज्ञ शक्ति अथवा औपचारिक या अनौपचारिक शक्ति में से किसी का भी प्रयोग आवश्यक हो सकता है।
6) दलीय प्रयासों को प्रभावशाली बनाना
उद्देश्यों की प्राप्ति में सर्वाधिक योगदान प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक है कि नेता सक्षम कर्मचारियों की कार्यकुशलता को बढ़ाने के लिए एक पुरस्कार व्यवस्था स्थापित्त करे, अधिकारों का प्रत्यायोजन करे, निर्णय लेने में कर्मचारियों की भागीदारी को आमंत्रित करे, पर्याप्त संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करे और कर्मचारियों को आवश्यक सूचनाएँ सम्प्रेषित करे।
5 सामण्ड के अनुसार 'अधिकार' क्या है ? (20 words)
उत्तर
सामण्ड विधि द्वारा कुछ करने हेतु बाध्य करने की शक्ति अधिकार कहलाती है।
6 विधिक अधिकारों को परिभाषित करते हुए इसके स्वसाम्पतिक एवं पर- साम्पतिक अधिकार पर टिप्पणी कीजिए। (50 Words)
विधिक अधिकार वे हैं जो किसी दत्त विधिक प्रणाली द्वारा किसी व्यक्ति को प्रदान किये जाते हैं (अर्थात्, वे अधिकार जो मानवीय नियमों द्वारा परिवर्तित, निरसित और निरुद्ध किये जा सकते।
पर-साम्पतिक अधिकार
कुछ अधिकार व्यक्ति को किसी अन्य अन्य की सम्पत्ति में भी प्राप्त होते हैं।
उदाहरण → ऋणदाता के द्वारा ऋणी की सम्पति को विकवाने का अधिकार ।
स्वसाम्पतिक
व्यक्ति के वे अधिकार जो उसे स्वयं की सम्पत्ति के सम्बन्ध में प्राप्त होते हैं,
जैसे - स्वयं की सम्पति को उपयोग लेने का अधिकार
