Day 28, Thursday
1.व्यवसायिक नैतिकता को परिभाषित कीजिए। 20W
उत्तर
व्यावसायिक नैतिकता में उन मूल्यों, मानकों व मापदण्डों का समावेश होता है जिनके द्वारा व्यावसायिक गतिविधियों को नियंत्रित किया जाता है तथा व्यवसाय/व्यापारी एवं कर्मचारियों से इनके अनुरूप आचरण की अपेक्षा की जाती है।"
व्यावसायिक नैतिकता को निम्न कथनों द्वारा समझा जा सकता है -
सामाजिक दृष्टिकोण से व्यवसाय का मुख्य कार्य समाज को आवश्यक वस्तुएँ एवं सेवाएँ उपलब्ध कराना है तथा व्यक्तिगत दृष्टिकोण से व्यावसायिक इकाई का मुख्य उद्देश्य लाभ कमाना है।
व्यावसायिक नैतिकता में यह ध्यान रखा जाता है कि व्यवसाय के मुख्य उद्देश्य एवं सामाजिक उद्देश्यों में टकराव न हो। अतः व्यवसायिक नैतिकता व्यक्तिगत हितों एवं सामाजिक हितों में सामंजस्य स्थापित करने की विधि है।
व्यावसायिक नैतिकता में एक आचार संहिता को संदर्भित किया जाता है। जिसका व्यवसाय करते समय व्यवसायों से पालन की अपेक्षा की जाती है
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| Day 28 |
2.भारत में निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व की अवधारणा कंपनी अधिनियम-2013 (धारा 135) द्वारा शासित होता है इसके प्रमुख प्रावधानो का उल्लेख कीजिए। 50W
उत्तर
भारत में निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व की अवधारणा कंपनी अधिनियम-2013 (धारा 135) द्वारा शासित होता है जिसमें निम्न प्रावधान है -
1. CSR उन पर लागू होगा जिन कम्पनियों का :-
A वार्षिक टर्न ऑवर 1,000 करोड़ या अधिक हो।
B शुद्ध मूल्य 500 करोड़ या अधिक हो।
C शुद्ध लाभ 5 करोड़ या अधिक हो।
2. उपर्युक्त कम्पनियाँ अपने पिछले तीन वर्षों के औसत शुद्ध लाभ का 2 प्रतिशत CSR पर व्यय करे।
3. अपने मण्डल सदस्यों की CSR समिति बनाये जिसमें स्वतंत्र निदेशक हो।
4. केवल भारत में की जाने वाली CSR गतिविधियाँ ही मान्य होगी।
3.संस्कृतीकरण को प्रोत्साहित करने वाले किन्हीं 6 कारकों के नाम लिखिए। 20W
उत्तर
1 संचार एवं यातायात के साधनों का विकास (जिससे लोगों में सम्पर्क बढ़ा है।)
2 राजनीतिक प्रोत्साहन (से जातिगत भेदभाव में कमी हुई है,
3 वंचितवर्ग मुख्य धारा से जुड़ा
4 कर्मकाण्डीय क्रियाओं में सुलभता
5 औद्योगिकरण व नगरीकरण
6 व्यावसायिक गतिशीलता
7 संवैधानिक अधिकार
8 साक्षरता का प्रसार व पाश्चात्य शिक्षा
9 सामाजिक एवं धार्मिक सुधार आन्दोलन
10 सुदृढ़ आर्थिक स्थिति
4.विसंस्कृतीकरण/असंस्कृतीकरण पर टिप्पणी कीजिए।
50W
उत्तर
मजूमदार के अनुसार "विसंस्कृतीकरण भारतीय समाज में सामाजिक परिवर्तन की वह प्रक्रिया है, जिसमें उच्च जाति (द्विज) अपनी परम्पराओं, रीति-रिवाजों, जीवन शैली के स्थान पर निम्न जाति के जीवन शैली, आचार-विचारों को अपनाती है।
उदाहरण
1. उच्च जाति द्वारा मांस-मदिरा का सेवन करना।"
2. आरक्षण के लाभ हेतु EWS/SC/ST में शामिल होना।
3. सरकारी योजनाओं में जातिगत आधार पर प्राप्त होने वाले लाभों को प्राप्त करना।
5. हरित लेखांकन से आप क्या समझते हैं ? 20W
उत्तर
इसमें व्यवसाय के संचालन से पर्यावरण को होने वाली क्षति का आंकलन किया जाता है। तत्पश्चात् व्यवसाय से होने वाली सकत आय से पर्यावरणीय क्षति को घटाया जाता है। इसी को हरित लेखांकन कहते है।
6. वित्रीय विवरण विश्लेषण से आप क्या समझते हैं ? इसकी प्रिक्रिया, प्रकार एवं तकनीकों को बताइए ?50W
उत्तर
जब एक कम्पनी किसी अन्य कम्पनी के साथ अपने वित्तीय विवरणों का विश्लेषण किया जाता है। विश्लेषण से कम्पनी की उत्पादकता, प्रदर्शन में सुधार को प्रोत्साहन मिलता है।
वित्तीय विश्लेषण के प्रकार
① आंतरिक बिश्लेषण
पूर्ण सूचना के आधार पर कंपनी के आंतरिक व्यक्तियों द्वारा बिश्लेषण | १ मालिक । मैनेजर द्वारा विश्लेषण
②- बाहरी विश्लेषण
प्रकाशित सूचनाओं (अपूर्ण) के आधार पर बाहरी व्यक्तियों द्वारा किया गया बिश्लेषण। निवेशक, बैंक, लोग धर
③ लम्बवत् बिश्लेषण
एक व्यवसाय के एक ही वर्ष के विभिन्न आंकडों का बिश्लेषण | (vertical)
④ क्षैतिज बिश्लेषण
एक से अधिक वर्ष यो एक से अधिक कंपनियों के आंकड़ों का विश्लेषण ।
वित्रीय विवरण विश्लेषण की तकनीक
1 तुलनात्मक वित्तीय विवरण विश्लेषण (comparative Fis. Analysis)
इस तकनीक में किसी कंपनी के दो या दो से अधिक वर्षों के विभिन्न वित्तीय - विवरणों का तुलनात्मक रूप से अध्ययन किया जाता है।
- क्षैतिज बिश्लेषण का प्रकार
② समानाकार विश्लेषण विधि (Common Size F.S.) (लम्बकर विश्लेषण)
इस तकनीक में किसी एक याहार को 100 मान लिया जाता है, जिसे लामान्य मद कहते है। अन्य व्यवहारों को प्रतिशता के आधार पर सामान्य मद से तुलना करते है।
सामान्य गढ़ = 100 ; अन्य मद को प्रतिशत में ज्ञात करते हैं।
3 समविच्छेद बिन्दु विधि (Break-even Analysis) (BEP)
B.E.P. बिंदु वह स्थिति है जिसपर संस्था को न तो लाभ होता है न हानि ।
BEP बिश्लेषण करके कंपनी अपनी वस्तु का विक्रय मूल्य (Selling Valive) & न्यूनतम विक्रय ईकाई निर्धारित करती है।
BEP से ऊपर प्रत्येक ईकाई का विक्रय लाभप्रद होता है।
4 रोकड़ प्रवाह विश्लेषण विधि (cash flow Analysis)
इस तकनीक में रोकड़ प्रवाह (cash flow) (नगद) के आधार पर तरलता का विश्लेषण किया जाता है।
तरलता Liquidity = रोकड आवक (Cash coming) - रोकड़ जावक (Cash outgoing)
किया जाता है।
इस तकनीक में नकद के विभिन्न स्त्रोतों एवं उपयोगों का विश्लेषण किया जाता है।
5 कोष प्रवाह विश्लेषण विधि
नगद व गैर नगद सभी प्रकार के कोषों का साधन एवं उपयोग के आधार पर विश्लेषण।
6 प्रगति बिश्लेषण (Trend Analysis)
डिसी आधार वर्ष की तुलना में चालू वर्ष के मित्रीय व्यवहारों परिवर्तनों की प्रवृति (Trend) के आधार पर बिश्लेषण।
सामान्यतः प्रत्येक परिवर्तन (Trend) को प्रतिशत के रूप में या रेखाच्छि के माध्यम से प्रस्तुत किया जाल है।
7 Du-Pont Analysis
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