इस आर्टिक्ल में हम जानेंगे कि प्लास्टिक आखिर है क्या और यह बनता किससे है? और साथ ही यह भी जानेंगे कि प्लास्टिक का कौनसा गुण पर्यावरण के लिए खतरा बनता जा रहा है।
प्लास्टिक क्या है - what is plastic pollution
सिंथेटिक फाइबर की तरह प्लास्टिक भी एक पॉलीमर है। जब रासायनिक पदार्थो के छोटे-छोटे यूनिट मिलकर एक बड़ा यूनिट बनाते है तो उसे पॉलीमर कहते है।यह पॉलीमर प्राकृतिक भी होते है, जैसे ;कॉटन,सिल्क आदि ।
कुछ पॉलीमर कृत्रिम भी होते है, जैसे ; फाइबर यानि नाइलॉन,पालिस्टर,रेयान आदि ।
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| प्लास्टिक प्रदूषण क्या है ? |
Thermoplastic और Thermoseting प्लास्टिक मे क्या अंतर है -
उदाहरण ; पॉलिथीन , pvc [polyvinyl chloride] इनका प्रयोग खिलौने बनाने एंव विभिन्न प्रकार के कंटेनर मे किया जाता है।
2 thermoseting plastic - यह गर्म होने के बाद भी अपना आकार नही बदलते है।
उदाहरण ;[ bakelite, मेलामाइन] इनका प्रयोग बिजली के सामानो मे किया जाता है ।
प्लास्टिक की विशेषताएं --
1 यह जल और हवा के साथ प्रतिक्रिया नहीं करता है
2 यह भार मे हल्का ,मजबूत , टिकाऊ और मेटल की अपेक्षा सस्ता भी होता है ।
इन्ही विशेषताओ के कारण इसका प्रयोग इंडस्ट्री और घरेलू सामानो मे खाफी प्रयोग होता है। हैल्थ केयर इंडस्ट्री मे टेबलेट packaging से लेकर रसोई के सामानो मे प्लास्टिक का प्रयोग होता है । प्लास्टिक पर हमारी इतनी निर्भरता के कारण इसको रिप्लेस करने मे कई समस्याएं आ रही है ।
इसके अलावा प्लास्टिक के कई अहम उपयोग है , लेकिन one time use वाले प्लास्टिक पर हमारी निर्भरता बढ़ती जा रही है , जिसके कारण पर्यावरण संबधित गभीर परिणाम भुगतने पड रहे है । अंतिम रूप से, पॉलीथीन बेग्स एव अन्य रूपो मे कचरे के ढेर मे जमा होता जा रहा है। इस प्लास्टिक का डिस्पोज़ल आज के समय मे एक बड़ी समस्या बन गई है। जिस प्लास्टिक को इंसानो ने अपनी सुविधा हेतु बनाया था, आज वही मानव जाति के लिए खतरनाक बन चुकी है।
2 यह भार मे हल्का ,मजबूत , टिकाऊ और मेटल की अपेक्षा सस्ता भी होता है ।
इन्ही विशेषताओ के कारण इसका प्रयोग इंडस्ट्री और घरेलू सामानो मे खाफी प्रयोग होता है। हैल्थ केयर इंडस्ट्री मे टेबलेट packaging से लेकर रसोई के सामानो मे प्लास्टिक का प्रयोग होता है । प्लास्टिक पर हमारी इतनी निर्भरता के कारण इसको रिप्लेस करने मे कई समस्याएं आ रही है ।
इसके अलावा प्लास्टिक के कई अहम उपयोग है , लेकिन one time use वाले प्लास्टिक पर हमारी निर्भरता बढ़ती जा रही है , जिसके कारण पर्यावरण संबधित गभीर परिणाम भुगतने पड रहे है । अंतिम रूप से, पॉलीथीन बेग्स एव अन्य रूपो मे कचरे के ढेर मे जमा होता जा रहा है। इस प्लास्टिक का डिस्पोज़ल आज के समय मे एक बड़ी समस्या बन गई है। जिस प्लास्टिक को इंसानो ने अपनी सुविधा हेतु बनाया था, आज वही मानव जाति के लिए खतरनाक बन चुकी है।
प्लास्टिक का कौनसा गुण पर्यावरण के लिए खतरा पैदा कर रहा है?
प्लास्टिक का non-biodegradable होना ही पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा खतरा है ,आपको बता दें कि जो पदार्थ बेक्टेरिया आदि की क्रियाओ से अपघटित होते है, वे biodegradable कहलाते है। वही दूसरी तरफ , इन क्रियाओ से अपघटित नही होने वाले पदार्थ non-biodegradable कहलाते है ,जैसे ;प्लास्टिक
चूंकि प्लास्टिक अपघटित होने मे सालो का समय लगता है , इसलिए इसे इको-फ्रेंडली नहीं माना जाता। यह पर्यावरण मे मिलकर पर्यावरण प्रदूषण का कारण बनता है।
इसके अलावा, इन सिंथेटिक पदार्थो के जलने की प्रक्रिया काफी धीमी होती है और यह आसानी से पूरी तरह जलते भी नहीं है। साथ ही यह जलने पर वातावरण मे काफि विशेले धुएँ भी फेलाते है जो वायु प्रदूषण का कारण बनता है।
चूंकि प्लास्टिक अपघटित होने मे सालो का समय लगता है , इसलिए इसे इको-फ्रेंडली नहीं माना जाता। यह पर्यावरण मे मिलकर पर्यावरण प्रदूषण का कारण बनता है।
इसके अलावा, इन सिंथेटिक पदार्थो के जलने की प्रक्रिया काफी धीमी होती है और यह आसानी से पूरी तरह जलते भी नहीं है। साथ ही यह जलने पर वातावरण मे काफि विशेले धुएँ भी फेलाते है जो वायु प्रदूषण का कारण बनता है।
आइए जानते है कि प्लास्टिक प्रदूषण किस प्रकार हमारे पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर असर डालता है ---
अगर बात हमारी धरती कि करें तो,डिस्पोस के लिए डाला हुआ प्लास्टिक का एक छोटा टुकड़ा भी हमारी धरती को नुकसान पहुंचा रहा है, फिर चाहे वह महासागरो मे मौजूद हो या हमारे फूड चैन में। गहरे समुद्र मे सूर्य का प्रकाश न पहुँचने और कम तापमान होने के कारण प्लास्टिक का degradation rate बहुत कम है, जो कि सबके लिए चिंता का विषय है। वहीं हल्के प्लास्टिक अपने उत्प्लावी नेचर के कारण समुद्र की सतह पर तेरते रहते है, और समुद्री धाराओ की मदद से समुद्र मे प्लास्टिक के गेयर बनाते है। गेयर बन जाने के कारण यह माइक्रोप्लास्टिक मे नही बदल पाते। आज-कल यह चिंता का विषय बनते जा रहे है ।
माइक्रोप्लास्टिक-- [प्लास्टिक के छोटे-छोटे टुकड़े जिनकी लंबाई 5 मिलिमीटर तक होती है]
समुद्री प्लास्टिक का सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि इन प्लास्टिक को कछुआ,मछ्ली, मेमल्स तथा अन्य जलीय जीव भोजन समझकर खा लेते है, जिसके बाद उपापचय नहीं होने और इन इन प्लास्टिक के टुकड़ो से केमिकल रिसने से इन जीवो कि मौत हो जाती है। लेंडफिल मे डाले गए प्लास्टिक, जल के साथ रिएक्शन कर खतरनाक केमिकल्स बनाते है, और अगर ये केमिकल्स रिसकर ground water aquifers तक पहुँच जाए तो ये जल कि गुणवता को खराब कर देते है। इसमे पाये जाने वाले केमिकल जैसे styrene,trimer , polystyrene मे पाया जाने वाला बेन्जीन हमारे पीने योग्य पानी की गुणवता को खराब कर रहे है।
इसके अलावा प्लास्टिक मे मौजूद Phthalates और Bisphenol-a मानव मे कैन्सर उत्प्न करते है। साथ ही प्लास्टिक मे एंडोक्राइन समन्धी समस्या पैदा करने वाले रसायन मौजूद होते है जो मोटापे का कारण बनते है प्लास्टिक को जलाने पर जहरीली गैसे मानव के तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है।
खैर, हमे हमारी प्लास्टिक पर निर्भरता को कम करना होगा। मै आपको पर्यावरण से संबधित अगली पोस्ट मे बताउगा कि प्लास्टिक को रिप्लेस करने के लिए अंतराष्ट्रीय स्तर पर क्या प्रयास किए जा रहे है, भारत सरकार क्या कर रही है और हम क्या कर सकते है।
