आज हम जानेंगे कि पश्चिमीकरण क्या है और यह आधुनिकता से किस प्रकार भिन्न है इसके साथ हम Westernization की अवधारणाओं को अच्छी तरह समझने के लिए इसकी विशेषताओं का अध्ययन करेंगे साथ हि संक्षिप्त मे जानेंगे कि भारतीय समाज पर इसका क्या प्रभाव पड़ा है।
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पश्चिमीकरण क्या है ? |
पश्चिमीकरण क्या है ? What is Westernization
पश्चिमीकरण का आशय ऐसी प्रक्रिया से है जिसके अंतर्गत समाज के विभिन्न पहलुओं यथा- भाषा रहन-सहन उद्योग, प्रौद्योगिकी, आर्थिक गतिविधि, राजनीति आदि में पश्चिमी विशेषताओं का समावेश होना ही पश्चिमीकरण कहलाता है
आइए अब जानते हैं कि पश्चिमीकरण आधुनिकता से किस प्रकार भिन्न है ?
उन्होंने बताया है कि औद्योगिकीकरण और नगरीकरण दो नजदीकी अवधारणाएं हैं। पश्चिमीकरण की जगह इन दोनों को भी नहीं सुना जा सकता है क्योंकि भारत मुख्य रूप से एक ग्रामीण समाज है। भारत जैसे देश में देहाती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की जीवनशैली नगरीकरण में औद्योगिकीकरण की तुलना में पश्चिमीकरण से ज्यादा ही प्रभावित दिखती है ।
आधुनिकीकरण की तुलना में पश्चिमीकरण एमएन श्रीनिवास को ज्यादा सार्थक और वैज्ञानिक शब्द लगता है। क्योंकि "आधुनिकीकरण से भिन्न पश्चिमीकरण शब्द नैतिक दृष्टि से तटस्थ है। उसका प्रयोग उसके अच्छे या बुरे होने को नहीं सूचित करता जबकि आधुनिकीकरण साधारणत इस अर्थ में प्रयुक्त होता है कि वह अच्छा है।"
पश्चिमीकरण के समर्थन में एमएन श्रीनिवास ने कहा है कि पश्चिमीकरण एक समावेशी मिश्रित और बहुस्तरीय अवधारणा है। उसमें एक छोर पर पश्चिमी प्रौद्योगिकी से लगातार दूसरे छोर पर आधुनिक विज्ञान और आधुनिक इतिहास लेखन तक विस्तृत क्षेत्र सम्मिलित है। इस शब्द की अपनी कठिनाइयां और सीमाएं अवश्य है।
पश्चिमीकरण के माध्यम से जो चीजें भारत में आई सभी मूल रूप से पश्चिम की नहीं है जैसे,बारूद सापे एवं कागज का आविष्कार चीन मे हुआ था। इन सीमाओं से अवगत होने के बावजूद भारतीय संदर्भ में पश्चिमीकरण की अवधारणा को ही ज्यादा उपयुक्त मानते हैं।
पश्चिमीकरण की प्रक्रिया पूरी तरह एक तरफी प्रक्रिया नहीं थी। यह ठीक है कि भारत एक ग्रहण करता देश के रूप में ज्यादा प्रभावित हुआ लेकिन अंग्रेजी सामाज जो एक आदर्श था। वह भी भारतीय सभ्यता और संस्कृति से कुछ न कुछ अवश्य प्रभावित हुआ। यह भी उल्लेखनीय है कि भारतीय समाज पश्चिमी चीजों का आंख मूंदकर अनुकरण नहीं करता रहा। यहां के लोगों ने कुछ चीजों को ग्रहण किया तो कुछ चीजों का बहिष्कार भी किया इतना ही नहीं बहुत सारी चीजों को हमने रूपांतरित करके स्वीकार किया।
पश्चिमीकरण की विशेषताएं---Features of Westernization ---
पश्चिमीकरण की अवधारणा को अच्छी तरह समझने के लिए इसकी विशेषताओं का अध्ययन करना आवश्यक है।
1 पश्चिमीकरण नैतिक रूप से एक तटस्थ अवधारणा है, कहने का तात्पर्य यह है कि यह अवधारणा केवल परिवर्तनों का विश्लेषण करती है कोई परिवर्तन अच्छा है या बुरा यह अवधारणा इस विचार से दूर है।
1 पश्चिमीकरण नैतिक रूप से एक तटस्थ अवधारणा है, कहने का तात्पर्य यह है कि यह अवधारणा केवल परिवर्तनों का विश्लेषण करती है कोई परिवर्तन अच्छा है या बुरा यह अवधारणा इस विचार से दूर है।
2 पश्चिमीकरण की प्रक्रिया भारतीय समाज की चेतन अचेतन प्रक्रिया से जुड़ी है। इसका प्रभाव भारतीय मानसिकता के चेतन और अचेतन दोनों पहलुओं पर पड़ा है।
3 पश्चिमीकरण जहां व्यक्तित्व के एक हिस्से को प्रभावित करता है, वही दूसरा हिस्सा इससे अप्रभावित रहता है।
4 अंतत: पश्चिमीकरण एक जटिल एवं बहु आयामी प्रक्रिया है। श्रीनिवास के अनुसार पश्चिमीकरण का प्रभाव हमारे सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक, आर्थिक, प्रौद्योगिकी तथा अन्य क्षेत्रों में समान रूप से पड़ा है। श्रीनिवास का कहना है कि पश्चिमीकरण का स्वरूप और गति एक तत्व से दूसरे तत्व में तथा जनसंख्या के एक भाग से दूसरे भाग में भिन्न-भिन्न रही है। कुछ समूह अपनी वेशभूषा भोजन तौर-तरीकों भाषा खेलकूद और काम में लाई जाने वाली वस्तुओं की दृष्टि से पश्चिमीकृत हो गए हैं । तो कुछ समूह पश्चिमी ज्ञान विज्ञान एवं साहित्य की दृष्टि से पश्चिमी हो गए हैं।
पश्चिमीकरण का भारतीय समाज पर प्रभाव---Impact of Westernization on Indian Society
1 आधुनिक शिक्षा का विकास हुआ।
2 जातिगत भेदभाव कमजोर हुआ।
3 इसने भारतीय अर्थव्यवस्था राज व्यवस्था और सामाजिक व्यवस्था को प्रभावित किया।
4 राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ावा दिया।
5 पश्चिमीकरण ने भारतीय मूर्तिकला और स्थापत्य कला को प्रभावित किया।
