communalism से तात्पर्य उस संकीर्ण मनोवृत्ति से है, जो धर्म और संप्रदाय के नाम पर पूरे समाज तथा राष्ट्र के व्यापक हितों के खिलाफ व्यक्ति को केवल अपने व्यक्तिगत धर्म के हितों को प्रोत्साहित करने तथा उन्हें संरक्षण देने की भावना को महत्त्व देने का काम करती है।
सांप्रदायिकता की विचारधारा से प्रभावित व्यक्ति सिर्फ व्यक्तिगत हितो के बारे में ज्यादा सोचता है, वह सामाजिक हितों को महत्व नहीं देता।
आइए सांप्रदायिकता को वर्तमान परिदृश्य में रखकर इसे विस्तार से समझते है।
वर्तमान संदर्भ में सांप्रदायिकता का मुद्दा न केवल भारत में, अपितु विश्व स्तर पर भी चिंता का विषय बना हुआ है।
1॰सांप्रदायिकता एक विचारधारा के रूप में---
सांप्रदायिकता एक विचारधारा है, जिसके अनुसार कोई समाज भिन्न-भिन्न हितों से युक्त विभिन्न धार्मिक समुदायों में विभाजित होता है।
2॰ एक समुदाय या धर्म के लोगों द्वारा दूसरे समुदाय या धर्म के विरुद्ध किये गए शत्रुभाव को सांप्रदायकिता के रूप में अभिव्यक्त किया जाता है।
3॰ दो समुदायों के बीच विश्वास और आपसी समझ की कमी या एक समुदाय द्वारा दूसरे समुदाय के सदस्यों का उत्पीड़न,आदि के कारण उनमें भय, शंका और खतरे का भाव उत्पन्न होता है।
4॰ राजनीतिक दल वोट बैंक के लिए एक समुदाय को दूसरे समुदाय के प्रति धार्मिक आधार पर उन्हे एक- दूसरे से अलग बताया जाता है, जिससे उनके बीच द्वेष की भावना उत्प्न होती है।
5 ॰ भारतीय समाज मे Education Level एव शिक्षा की गुणवता के कमजोर होने के कारण शुरू से ही बच्चो मे
5 ॰ भारतीय समाज मे Education Level एव शिक्षा की गुणवता के कमजोर होने के कारण शुरू से ही बच्चो मे
समाज के प्रति व्यापक और सकारात्मक सोच विकसित नही हो पाती।
आइए देश मे सांप्रदायिकता से जुड़ी कुछ घटनाओ को करम्बद्ध करें-----
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| देश में सांप्रदायिकता से संबंधित कुछ प्रमुख घटनाएँ |
आइए देश मे सांप्रदायिकता से जुड़ी कुछ घटनाओ को करम्बद्ध करें-----
देश में सांप्रदायिकता से संबंधित कुछ प्रमुख घटनाएँ---
भारत में सांप्रदायिक हिंसा की स्थिति उत्पन्न करने और उसे प्रोत्साहित करने में विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक,आर्थिक और प्रशासनिक कारण सामूहिक रूप से ज़िम्मेदार रहे हैं।
इन सामूहिक कारणों की परिणति हमें सांप्रदायिक हिंसा के रूप में समय-समय पर देखने को मिलती है। देश में सांप्रदायिक हिंसा से संबंधित कुछ घटनाएँ इस प्रकार हैं---
1॰ वर्ष 1947 में भारत का विभाजन
2॰ वर्ष 1984 में सिख विरोधी दंगे
3॰ वर्ष 1989 में घाटी से कश्मीरी पंडितों का निष्कासन
4 ॰वर्ष 1992 में बाबरी मस्ज़िद विवाद
5॰ वर्ष 2002 में गुजरात में दंगे
6॰ वर्ष 2013 में मुज़फ्फरपुर में दंगे इत्यादि।
वर्तमान समय में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएँ भारत के साथ-साथ विश्व स्तर पर भी देखी जा रही हैं। धर्म, राजनीति, क्षेत्रवाद, नस्लीयता या फिर किसी भी आधार पर होने वाली सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिये ज़रूरी है कि हम सब मिलकर सामूहिक प्रयास करें और अपने कर्त्तव्यों का निर्वहन ईमानदारी एवं सच्ची निष्ठा के साथ करें।
अगर हमे लड़ना ही है तो हमारे लिए बहुत से विकल्प समाज मे मौजूद है, हमे सांप्रदायिकता को किनारे रखते हुए गरीबी, बेरोजगारी और सामाजिक असमानता से लड़ना चाहिए।
यदि हम ऐसा करने में सफल हो पाते हैं, तो निश्चित रूप से न केवल देश में बल्कि विश्व स्तर पर सद्भावना की स्थिति कायम होगी क्योकि सांप्रदायिकता का मुकाबला एकता एवं सद्भाव से ही किया जा सकता है।
