वैश्विक महामारी corona का जीवन शैली पर प्रभाव।

वैश्विक महामारी corona का जीवन शैली पर प्रभाव, हम समय को दो काल खंडों में बांटकर समझ सकते हैं पहला दिसंबर 2019 से पहले का समय और दूसरा दिसंबर 2019 के बाद का समय। इस तरह हम पाएंगे कि जीवन के हर पहलू पर कोरोना का व्यापक प्रभाव पड़ा है, इसे विभिन्न रूपों में वर्गीकृत किया जा सकता है।  


1॰ व्यवहार में परिवर्तन➥


कोरोना महामारी ने जीवन शैली के हर स्तर पर मनुष्य को अपने 'व्यवहार परिवर्तन की आवश्यकता' पर सोचने को मजबूर किया है। जैसा की हम जानते हैं कि इस coronavirus pandemic से बचाव का एक बेहतर विकल्प ‘'social distancing'' अर्थात शारीरिक दूरी है। भारत की घनी आबादी को देखते हुए यह आवश्यक हो जाता है कि वायरस के प्रकोप से बचने के लिये अपने व्यवहार में परिवर्तन करते हुए स्वास्थ्य मानकों का अनुपालन करना ज़रूरी है। इस वायरस के प्रसार को रोकने के लिये अब हमें अभिवादन की पारंपरिक प्रक्रिया ‘नमस्ते’ का अनुपालन किसी भी शारीरिक स्पर्श के बिना करना होता है।

वैश्विक महामारी corona का जीवन शैली पर प्रभाव।
वैश्विक महामारी corona का जीवन शैली पर प्रभाव। 

public health को बनाए रखने के लिए  प्रत्येक व्यक्ति को फेस मास्क का प्रयोग अनिवार्य रूप से करना होगा क्योंकि ड्रॉपलेट्स के माध्यम से वायरस का प्रसार एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में तेज़ी से हो सकता है। सभी लोगों को समय-समय पर हाथों को सैनेटाईज़ करने या साबुन से धुलने के नियम को अपने व्यवहार में शामिल करना होगा क्योंकि हाथ वायरस के शरीर में प्रवेश का प्रमुख माध्यम बन सकते हैं।



2॰ घर से निकलते वक्त स्वास्थ्य उपकरण साथ लेकर निकलना अनिवार्य है, जैसे- एक बोतल सैनिटाइजर, खुद का हैंडवाश, नैपकिन, दो मास्क, मास्क रखने के लिए पाउच। 



3॰ लोग बाहर जाते वक्त पूरी आस्तीन के कपड़े पहन रहें है, इसके अलावा उन्हे face masks लगाए हुए तथा चश्मे पहने हुए देखा जा सकता है जो कि कोरोना का ही प्रभाव है, चूंकि कई लोग संक्रमण से बचाव के लिए आंखों को ढकने के लिए चश्मा भी पहन रहे हैं। 



4॰ सार्वजनिक स्थलों के प्रवेश द्वार पर रोज थर्मल स्क्रीनिंग के बाद ही अंदर प्रवेश की अनुमति दी जाती है इसके साथ सरकार की गाइडलाइंस और नियमों का पालन करना पड़ता है। जैसे 2 फीट की दूरी, मास्क का प्रयोग। 



5॰ सार्वजनिक स्थानों पर लिफ्ट की जगह सीढ़ियों का प्रयोग करना जरूरी हो गया है जिसको लेकर कुछ लोगों में असहजता बनी हुई है। इसके अलावा covid-19 pandemic के दौरान विश्व ने कई आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक नकारात्मक प्रभाव झेले हैं जिनसे आप भली-भांति परिचित है। वहीं लॉकडाउन, ख़ैर! लॉक डाउन के कुछ प्लस पॉइंट भी थे, शायद हम में से किसी ने उन्हे मिस ना किया हो। 


लॉकडाउन ने हमको फिर से जीना सिखा दिया... 


हमने बारीकी से देखना सीखा।  


सोशल मीडिया पर वह जोक तो पढ़ाई हि होगा... लॉकडाउन में इतने बोर हो गए कि आसमान के तारे तक गिन डाले। मजाक में ही सही पर आस-पास मौजूद सभी चीजों को बारिकी से देखना उन दिनों में हमने सीखा, पौधे की एक कली फूल बनने के लिए कितने आकार बदलती है, बालकनी में चिड़िया की हलचल, बादलों की आकृति को किसी वस्तु की उपमा देना। यह समय को बिताने का तरीका जरूर है लेकिन हमने फिर से जीना सीखा। वैसे, अपने ही घर को इतने नजदीक से पहले कब जाना था। घर में भोजन उगाया...चूंकि सिर्फ अत्यावश्यक कामों के लिए ही घर से बाहर जाने की अनुमति थी इसलिए छोटी-छोटी आधारभूत आवश्यकताओं को घर पर ही पूरा किया, जैसे- गिलोय, धनिया, पुदीना, मिर्ची आदि। भोजन का महत्व समझा, भोजन भी प्रकृति की देन है जिसका महत्व कोरोना काल ने हमे समझाया है।      



मदद करना सीखा... रोज घर से बाहर रहने वालों को पता ही नहीं होता था कि घर के काम कैसे निबटाते हैं, अब आंखों के सामने हमेशा किसी एक को ही तो काम करते हुए देख नहीं देख सकते थे सो सबने परिवार के साथ मिलकर काम किया। प्रकृति से बढी नजदीकी... बहुत दूर से हिमालय दिखने का वायरल वीडियो उन दिनों चर्चा में रहा, शायद आपने भी देखा होगा। चांद को देखना और रात की ठंडक को महसूस करना उन दिनो आम था। इसके अलावा इस दौरान हमारी आध्यात्मिकता में रुचि बढ़ी। असंगठित क्षेत्र से जुड़े लोगों की अहमियत को समझा उनकी परपीड़ा को जाना।  



जिन्हे लॉकडाउन का समय बुरा लगा... उन्हें जानकर हैरानी होगी कि यही उनका अच्छा वक्त था, family members के लिए यह बड़ा सच है। आप भी अपने अनुभव हमसे साझा कर सकते हैं, अगर आप लॉकडाउन से जुड़ा कोई रोचक प्रसंग हमसे साझा करना चाहे तो... ''लॉकडाउन ने हमें सिखा दिया'' शीर्षक के साथ मेल करे. jigyasuhindi@gmail.com   


कुछ चुनिंदा अनुभवों को ब्लॉग पर उनके नाम के साथ पब्लिश किया जाएगा, आर्टिकल कम से कम 500 शब्दो का होना चाहिए। 

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