जीवन में लक्ष्य का होना जरूरी क्यों है?

जीवन में लक्ष्य का होना जरूरी क्यों है? 

बचपन के दिनों में तेज धूप और शक्तिशाली मैग्नीफाइंग ग्लास से कागज को जलाना आसान था, इसके बावजूद हम कभी-कभी उसे जलाने में असफल हो जाते क्योंकि कागज को आग तब तक नहीं पकड़ सकती, जब तक आप ग्लास को हिलाते रहेंगे। अगर आप थोड़ी देर स्थिरता से पकड़कर प्रकाश को फोकस करेंगे तो कागज आग पकड़ लेगा। इसी तरह हमारी Life में लक्ष्य का महत्व है जिस प्रकार कागज को जलाने के लिए स्थिरता जरूरी है उसी प्रकार व्यक्ति को एक सार्थक दिशा में कार्य करने के लिए लक्ष्य की आवश्यकता होती है। लक्ष्य का महत्व एक और उदाहरण से समझा जा सकता है, मान लीजिए कि आपकी फुटबॉल की टीम खेलने के लिए पूरे उत्साह के साथ तैयार है तभी अचानक कोई गोल पोस्ट और गोल लाइन को हटा देता है तब खेल का क्या होगा। अब वहां कुछ भी नहीं बचा, कोई लक्ष्य नहीं रहा। जब कोई लक्ष्य ही नहीं होगा तो बिना लक्ष्य और दिशा के जीवन उस जंगली आग की तरह है, जिससे मायूसी ही मिलती है। लक्ष्य आपको एक दिशा प्रदान करता है, यह तय करता है कि आपका end Goal क्या है? यह आपको एहसास कराता है कि आप कहां जाना चाहते हैं। नित्शे के शब्दों में, जिस व्यक्ति के पास अपने जीवन के लिए 'क्यों' हैं, वह किसी भी तरह के 'कैसे' को सहन कर सकता है। 


यानी जिस व्यक्ति के पास जीवन जीने का कोई कारण रहा हो, उसका परिवार, समाज, देश या कोई वस्तु भी हो सकती है जिसके लिए वह सब सहन करना आसान हो जाता है, जो करना जरूरी हो। लक्ष्य संघर्ष के दौरान हमारी  उम्मीदों को जगाए रखते है। हमें हिम्मत और असीमित साहस प्रदान करते है। 

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जीवन में लक्ष्य का होना जरूरी क्यों है?

लक्ष्य का अर्थ 


लक्ष्य का अर्थ इस उक्ति से स्पष्ट किया जा सकता है, लक्ष्य/ज्ञान आपको मंजिल तक पहुंचने में मदद करता है, बशर्ते आपको अपनी मंजिल का पता हो। लक्ष्य में विविधता होना स्वभाविक है, अगर हम अपने मकसद पर ध्यान नहीं लगाएंगे तो अपने लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाएंगे। अपने मकसद पर ध्यान लगाना एक मुश्किल काम है मगर यह एक कला है जिसे सीखा जा सकता है। 


लक्ष्यों की अवधारणा के बारे में 


लोग अक्सर इच्छा या सपने को लक्ष्य समझने की भूल करते हैं, सपने और इच्छाएँ सिर्फ चाहत है, चाहतें कमजोर होती है। चाहतों में मजबूती तब आती है, जब वे निम्न बातों की बुनियाद पर टिकी होती है- 

1 दिशा, 2 समर्पण, 3 अनुशासन, 4 समय सीमा, 4 दृढ़ निश्चय 

यही वे बातें हैं, जो इच्छा और लक्ष्य में अंतर करती है। जिनके साथ समय सीमा और कार्य योजना जुड़ी होती है,  लक्ष्य मूल्यवान या मूल्यहीन हो सकते हैं। सपनों को असलियत का रूप चाहत नहीं बल्कि लगन देती है। महान मस्तिष्क उद्देश्य से भरे होते हैं और अन्य लोगों के पास केवल इच्छाएं होती है। सपनों को असलियत में बदलने वाले कदम-  1॰ निश्चित और साफ लक्ष्य लिखें 2॰ इसे हासिल करने का प्लान बनाएं 3॰ पहली दो बातों को रोज दो बार पढ़ें। 


आइए लक्ष्यों की अवधारणा से जुड़े कुछ अन्य पहलुओं की बात करते हैं, पहला सवाल कि लक्ष्य क्या होना चाहिए या लक्ष्य कैसा होना चाहिए? इस सवाल का जवाब सामान्यत इस प्रकार दिया जाता है कि लक्ष्य पहुंच में होना चाहिए, पकड़ में नहीं। इसका आशय है कि लक्ष्य बड़ा होना चाहिए जो हमें संघर्ष के विभिन्न आयामों से जोड़ दें।  संघर्ष व्यक्ति के चरित्र का निर्माण करता है, उसमें गुणों का समावेश करता है जो बड़े से बड़े लक्ष्य को पाने की राह आसान बना देता हैं। 


लक्ष्य का निर्धारण कैसे करें


लक्ष्य निर्धारण की प्रक्रिया पूरी तरह से लक्ष्य तय करने वाले प्राणी पर निर्भर करती है, लक्ष्य निर्धारण करते समय कुछ आधारों को केंद्र में रखा जाना चाहिए ताकि लक्ष्य व्यक्ति और समाज के लिए अनुकूल हो। लक्ष्य तय करने के लिए एक के बाद एक कदम उठाने पड़ते हैं। जब आप ट्रेन का एक टिकट खरीदते हैं तो उस पर क्या लिखा होता है यात्रा प्रारंभ करने का स्थान, कीमत, गंतव्य स्थान, यात्रा शुरू करने की तारीख, श्रेणी, टिकट समाप्ति की तारीख। ऊपर दिए गए बिन्दु आपको लक्ष्य निर्धारण हेतु ड्राफ्ट के तौर पर सहायक हो सकते हैं लेकिन इसके साथ लक्ष्य निर्धारण करते समय कुछ आधारों का ध्यान रखना जरूरी है जिससे जिंदगी और मकसद के संदर्भ में संतुलन स्थापित किया जा सके। जींन मर्डोन के शब्दों में, जिंदगी में लंबे कदम बढ़ाना भले मुश्किल हो, पर इंच-इंच बढना आसान है। लक्ष्य संतुलित होने चाहिए। हमारी जिंदगी एक पहिए की तरह है जिसमें छह(6)तिलिया लगी होती है, लक्ष्य निर्धारण करते समय इनको केंद्र में रखना चाहिए। जैसे-- 


1॰ पारिवारिक➔ हमारे प्रियजन ही हमारे सीने और जीविका कमाने का मकसद है।  

2॰ आर्थिक➔ हमारा कैरियर और वे चीजें जिन्हे पैसों से खरीदा जा सकता है। 

3॰ शारीरिक➔ हमारी सेहत, जिसके बगैर किसी चीज का कोई मायने नहीं है।  

4॰ मानसिक➔ हमारा ज्ञान और हमारी बुद्धि।  

5॰ सामाजिक➔ हर व्यक्ति और संगठन की कुछ सामाजिक जिम्मेदारियां हैं जिनको पूरा न किए जाने पर समाज टूटने लगता है।  

6॰ आध्यात्मिक➔ हमारे जीवन मूल्य नैतिकता और चरित्र को दर्शाते है। 


इनमें से कोई भी तीली अगर अपनी जगह से खिसक जाए तो हमारे जीवन का संतुलन डगमगा जाता है, थोड़ा समय निकालकर सोचिए...अगर इन छह में से कोई एक तीली ना रहे तो जीवन कैसा होगा? skip मत करिए जरा सोचिए!! अपने लक्ष्यों को जाँचे-परखें... जो इंसान किसी चीज पर निशाना ही नहीं लगाता, वह चूकेगा क्या? छोटे लक्ष्य बनाना ही सबसे बड़ी गलती है। जीतने वाले लक्ष्य को देखते हैं और हारने वाले रुकावट को। हमारे लक्ष्य इतने बड़े होने चाहिए कि हमें प्रेरणा दे सकें। मगर असलियत से इतने दूर भी न हो कि हम निराश हो जाएं। इससे जुड़े पहलुओं को शुरुआत में डिस्कस किया जा चुका है। 

हम जो कुछ भी करते हैं या तो वह हमें लक्ष्य के करीब ले जाता है या उससे दूर। हर लक्ष्य इन पैमानों पर तोला जाना चाहिए-- rotary clubs four way test की तरह...आइए इसे समझते है 


1॰ क्या यह सच है?

2॰ क्या यह सभी संबंधित लोगों के लिए निष्पक्ष है।  

3॰ क्या यह मुझे सेहत धन और मन की शांति देगा।  

4॰ क्या यह मेरे दूसरे लक्ष्यों के अनुकूल है। 

5॰ क्या मैं अपने आपको इसके लिए वचनबद्ध कर सकता हूं। 

6॰ क्या इससे मुझे ख्याति मिलेगी। 


मुझे उम्मीद है कि लक्ष्य निर्धारण के लिए यह आधार पर्याप्त होंगे फिर भी आपके मन में कोई द्वंद या प्रश्न है तो कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं। आशा है कि आप opportunities को पहचान कर सही जगह अपनी उर्जा और समय को निवेश करेंगे। अपने हर कार्य की शुरुआत इस तरह कीजिये कि उस कार्य को ईमानदारी से करने के लिए आपको दूसरा जन्म मिला हो। 


एक योजना के बिना एक लक्ष्य सिर्फ एक इच्छा→


बिना कर्म(action)के लक्ष्य खोखले सपनों की तरह होते हैं, कर्म ही सपनों को लक्ष्यों में बदलता है। अगर हम अपना लक्ष्य नहीं भी हासिल कर पाते हैं तो इसका मतलब असफल होना नहीं होता, देरी होने का मतलब हारना नहीं है। इसका मतलब असफल होना नहीं होता, इसका मतलब यह है कि आपको अपने लक्ष्य को पाने के लिए फिर से योजना बनाने की जरूरत है। जैसे- एक कैमरे को तस्वीर लेने के लिए फोकस करना पड़ता है, वैसे ही हमें भी सफल जीवन पाने के लिए लक्ष्य बनाने की जरूरत पड़ती है। अर्ल नाइटीगल के शब्दों में... अपने ऊपर इस डर  को कभी हावी न होने दें कि किसी काम को करने में कितना समय लगेगा। वह समय किसी न किसी तरह बीत तो  जाएगा लेकिन हमें उस बीतने वाले समय का बेहतर से बेहतर उपयोग करने की कोशिश करनी चाहिए। 


यह सब जानने के बाद आपके अंदर थोड़ी चेतना तो जगी है तो आपका पढ़ना और मेरा लिखना सार्थक हुआ, खैर!  जाने से पहले एक छोटी सी कहानी भी पढ़ते चलिए... 


किसी किसान का एक कुत्ता सड़क के किनारे बैठ कर आने वाली गाड़ियों का इंतजार करता रहता था। जैसे ही कोई गाड़ी आती, वह भोंकता हुआ उसके पीछे दौड़ता। एक दिन उसके पड़ोसी ने उससे पूछा, क्या तुम्हें ऐसा लगता है कि तुम्हारा कुत्ता कभी किसी गाड़ी को पकड़ पाएगा। उस किसान ने जवाब दिया, सवाल यह नहीं है कि वह किसी गाड़ी को पकड़ पाएगा बल्कि यह है कि अगर पकड़ पाएगा तो वह क्या कर लेगा? बहुत से लोग उस कुत्ते की तरह निरर्थक लक्ष्यों के पीछे भागते रहते हैं। इसलिए लक्ष्य हमेशा मीनिंगफुल होना चाहिए। एक सार्थक जीवन जीने के लक्ष्य का होना बहुत जरूरी है जो अंत तक हमे Guide करता है। 


अगर आपके मन में इस आर्टिकल से जुड़े सवाल या सुझाव है तो हमें जरूर बताइएगा, आलेख अच्छा लगा तो शेयर करिए और खुशियां बांटते रहिए। शुभकामनाओं सहित     


लक्ष्य को पाने की चिंगारी रखो सीने में, संघर्ष से मत डरो तभी मजा आता है जीने में। 

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