कौन सा vaccine कोविड-19 के लिए सबसे असरदार है।
दुनिया को जिस तेजी से corona ने घेरा है उसने एक बार फिर जरूरी बना दिया है कि लोग पूरी गंभीरता से एहतियात बरतें। protocol का ईमानदारी से पालन करें और बारी आने पर vaccine जरूर लगवाएं तभी इस खतरनाक virus के कहर से बचा जा सकता है लेकिन कई लोगों के जहन में यह सवाल आता है कि कोई vaccine 90 फीसदी कारगर है तो कोई 95 फीसदी। ऐसे में क्या दूसरी वाली ज्यादा बेहतर है? तमाम उपलब्ध vaccines को लेकर तमाम सवालों के जवाब आपको इस आर्टिकल में मिलेंगे।

टीकों की तुलना करना कितना सही है?
टीकों की effectiveness को लेकर लोग दुविधा में है लोगों का यह मानना स्वभाविक है कि जो टीका 95 फीसदी प्रभावी है, वह 66 फीसदी प्रभावी टीके से बेहतर होगा लेकिन असल में आप इनकी तुलना नहीं कर सकते। यह आंकड़े अलग-अलग हालात में सामने आए हैं। जैसे pfizer moderna vaccine का ट्रायल कोरोना के original variant पर किया गया था साथ ही इस ट्रायल के वक्त संक्रमितों की संख्या ज्यादा नहीं थी, वही jhonson and jhonson, estrozeneca का ट्रायल south africa समेत दूसरी जगहों पर हुआ जहां corona के नए variant उभर रहे थे और संक्रमितों की संख्या बढ़ गई थी यानी वो टीका मुश्किल दौर में लोगों की जानें बचा रहा था।
क्या सारी vaccines असरदार है?
देखिए जो vaccine आपको लगाई जा रही है वो सभी असरदार है। vaccine का मकसद लोगों को बीमारी से बचाना है, एक बार टीका लगाने के बाद अगर आप संक्रमित होते हैं तो अन्य लोगों की तुलना में लक्षण ना के बराबर होंगे। यह टीके आपको अस्पताल जाने से बचा रहे हैं। यह टीके running shoes की तरह है कोई भी जूता पहनो वह आपको दौड़ने में मदद करेगा,आपको कोई भी टीका लगाया जा रहा है आखिरकार वह आपका बचाव ही करेगा।
covaxin और covishield vaccine efficacy का तुलनात्मक अध्ययन
covishield भी कुछ हद तक इसी अवधारणा पर आधारित है लेकिन इसे corona virus के डैड पार्टिकल्स से नहीं बनाया गया है, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के मुताबिक covishield या azd 122 को बनाने में adino नामक विषाणु का प्रयोग किया गया है। यह वायरस चिंपांजी में पाया जाता है, वैज्ञानिकों का कहना है कि एडिनो वायरस ह्यूमन बॉडी के लिए नुकसानदायक नहीं है इसलिए इसे कोरोना वायरस के spike protine से अटैच कर शरीर में पहुंचाया जाता है। इसके बाद की प्रक्रिया वही है जो covaxin को लेकर बताया गया है। स्पाइक प्रोटीन आपने विभिन्न समाचार पत्रों में या टीवी पर कोरोनावायरस की संरचना देखी होगी अगर आपने गौर से देखा है तो उस पर लाल रंग के कुछ फफूंद है उसे ही स्पाइक प्रोटीन कहा जाता है। vaccine स्पाइक प्रोटीन को निष्क्रिय कर देती जिसके कारण वायरस अपनी प्रतिलिपि या नहीं बना पाता है।
यह दोनों Dubble Dose vaccine हैं यानी दोनों के 2-2 dose आवश्यक होते हैं, इन vaccines को 2- 8 डिग्री सेल्सियस तापमान में स्टोर किया जा सकता है। ICMR के अनुसार covaxin तीसरे ट्रायल के बाद 81 फ़ीसदी असरदार रही है वहीं covishield के मामले में यह आंकड़ा 60 से 70 फीसदी कारगर हैं। covid-19 महामारी के दौरान डबल्यूएचओ ने कहा था कि एक वैक्सीन के प्रभावी होने के लिए उसमें बीमारी के खिलाफ कम से कम 50 फीसदी efficacy होनी चाहिए। इस लिहाज से दोनों टीकें सक्षम है।
सभी vaccines को m-R.N.A vaccine क्यों कहा जाता है
देखिए हमारे शरीर में D.N.A होता है। डीएनए दो धागों का बना होता और जो RNA होता है वह सिंगल हैलिक्स होता है। ज्यादातर वायरस RNA होते हैं, RNA को बनने में ज्यादा समय नहीं लगता और इसी की पहचान करके vaccine को बनाया गया है जो स्पाइक प्रोटीन को निष्क्रिय कर देती। दो अलग-अलग vaccine लगाने का फायदा भी जान लेते हैं यदि किसी व्यक्ति को पहला dose Pfizer का लगा दिया जाए और दूसरा dose covaxin का लगा दिया जाए तो यह ज्यादा असरदार होगा।
कुछ अन्य गलतफहमियां-- some other misconceptions
कुछ लोगों का सवाल है कि क्या वैक्सीन लेने के बाद कोई कोरोना फैला सकता है? इसका जवाब आपको पहले ही मिल चुका है अगर आपने skip कर दिया है तो अलग बात है, देखिए vaccine के माध्यम से डेड वायरस को प्रवेश किया जा रहा है ना कि जिंदा वायरस और मुर्दा वायरस हमारे शरीर के अंदर कृतियां फोटो कॉपी नहीं बना सकता। जब वायरस की फोटो कॉपी ही नहीं बनेगी तो वह आगे कैसे फैलेगा। उसका माध्यम वहीं खत्म हो जाएगा। कुछ का यह भी सवाल है कि अगर covid-19 के लक्षण आ रहे हैं तो टीका लगवाने जाएं या कुछ समय के लिए रुकना चाहिए, इसका जवाब कुछ मेडिकल रिसर्च ने दिया है इनके अनुसार आपको कोविड-19 होने के 15 से 25 दिन बाद ही टीका लगवाना चाहिए। अगर किसी को heart problem, diabetes, Hiv-AIDS या कोई अन्य गंभीर स्वास्थ्य संबंधी बीमारी है तो वह व्यक्ति भी टीका लगवा सकता है। यह बिल्कुल safest हैं। इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है इसलिए आप infodemic से बचिए और vaccine लगवाईए।
कुछ लोगों का वहम है कि इसमें pig, cow material का use किया गया है। इसका प्रयोग वैक्सीन बनाने में किया गया है या नहीं, यह बात कितनी सही है या गलत इसका कोई प्रमाण नहीं है। हालाँकि यह बात सही है कि vaccine की उम्र बढ़ाने के लिए इसमें gelatin का use किया जाता है लेकिन हाल ही में कोविशील्ड और को वैक्सीन निर्माताओं ने पुष्टि कर कहा है कि इन दोनों वैक्सीन में किसी भी प्रकार का कोई जिलेटिन का प्रयोग नहीं किया गया है।