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| Weekly Current Editorial |
भारत-यूरोप मुक्त व्यापार समझौते की चुनौतियां (GS 3)
Context :
अतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की सक्रियता बढ़ने के साथ यूरोपीय संघ (EU) से बेहतर रिश्ते की इच्छा और आस भी बढ़ रही है। पिछले साल, अमरीका को पीछे धकेलते हुए ईयू, 132 बिलियन डॉलर (भारत और अमरीका के बीच 128 बिलियन डॉलर की तुलना में) की कुल व्यापार मात्रा के साथ भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया है।
यूरोपीय देशों का भारत से संबंध प्रगाढ़ करने में रुचि का आंरभिक कारण चीन रहा है। हालांकि सहयोग का दायरा अब चीन से कहीं अधिक व्यापक हो गया है। रिश्तों की दिशा क्या होगी, यह बहुत हद तक इस पर निर्भर करेगा कि भारत अपनी राष्ट्रीय क्षमताओं के निर्माण पर कितना ध्यान देता है और ईयू कितने यथार्थवादी एजेंडे अपनाता है। भारत और यूरोप के बीच राजनयिक और सुरक्षा संबंधों में बड़े पैमाने पर निकटता आई है। जब हम भारत-यूरोप सहयोग के किसी भी हालिया समझौते पर नजर डालते हैं चाहे वह जर्मनी, इटली, फ्रांस या यूरोपीय संघ के साथ हो - सर्वोच्च प्राथमिकता इस बात को दी जाने लगी है कि उससे भारत की क्षमता निर्माण में किस प्रकार मदद मिलेगी।
Key Highlight
🗯️वर्ष 2020 में ईयू ने 'ईयू-इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिपः ए रोडमैप टु 2025' की शुरुआत की थी।
🗯️हाल ही में यूरोपीय संसद ने यह कहा है कि ईयू और भारत के द्विपक्षीय रिश्ते 'अभी तक अपनी पूरी क्षमता तक नहीं पहुंच पाए है।'
🗯️पिछले सप्ताह जर्मनी में यूरोपीय संघ की रणनीतिक सोच से जुड़ी एक शोध कार्यशाला के ईयू-भारत संबंधों पर आयोजित विशेष सत्र में यूरोप के थिंकटैंक का ज्यादा फोकस इस बात पर रहा कि भारत किसी तरह ईयू से मुक्त व्यापार समझौते पर जल्द हस्ताक्षर कर दे।
Challenges
दरअसल, ईयू ने भारत को लेकर अपनी अधिकांश ऊर्जा फिलहाल एफटीए पर केंद्रित कर रखी है क्योंकि दोनों पक्षों के बीच चीन को लेकर यूरोप में असहजता लगातार बढ़ रही है। यूरोप को यह अहसास हो गया है कि उसने अपने सभी फल एक ही टोकरी में रखकर गड़बड़ कर दी है और उसे अपने बाजारों व आपूर्ति स्रोतों में विविधता लाने की जरूरत है। तेजी से बदलते भू- राजनीतिक परिदृश्य में यूरोपीय संघ भारत को एक भागीदार के रूप में देखने लगा है।
व्यापारिक समझौते की संभावना बहुत अधिक बढ़ गई है। एफटीए के अगले दौर की वार्ता सितंबर में प्रस्तावित है। पर मुक्त व्यापार से जुड़ी उलझनें दूर किए बिना भारत आगे नहीं बढ़ सकता। ईयू चाहता है कि एफटीए के जरिए भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था में और गहराई से जोड़ा जाए। भारत में प्रवेश के लिए खासकर यूरोपीय कारों व कृषि उत्पादों पर टैरिफ कम करने की मांग की जा रही है।
EU चाहता है कि भारत के मानक ईयू के अनुरूप हों। ईयू अक्सर भारतीय फार्मास्यूटिकल्स व कृषि वस्तुओं को अपने बाजारों में प्रवेश करने से रोकता है, पर उन सामाजिक और पर्यावरणीय धाराओं को भारत स्वीकार नहीं कर पाएगा जो FTA के लिए किसी भी प्रकार की शर्तों के रूप में कानूनी रूप से बाध्यकारी है।
6 - 7 प्रतिशत वार्षिक दर से बढ़ती अर्थव्यवस्था व अपने मध्यम वर्ग की जरूरतों का ध्यान रखते हुए भारत स्वयं को एक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने का इच्छुक है। इस रणनीति में घरेलू कृषि की रक्षा और तैयार माल के आयात के बजाए भारत में ही यूरोपीय विनिर्माण को प्रोत्साहन शामिल है। इस बात पर तो भारत में आम सहमति है कि कृषि क्षेत्र की रक्षा आवश्यक है।
कुछ रूढ़िवादी समीक्षक इस आधार पर एफटीए को नकार देते हैं कि इसका छोटे उत्पादकों पर बुरा असर होगा। इसलिए एफटीए को फलीभूत करने के लिए ईयू को भारतीय कृषि को समुचित संरक्षण देना होगा।
जीवाश्म ईंधन की शीघ्र समाप्ति व विशेष रूप से नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत अपनाने के लिए पश्चिम के दबाव को भारत ने हमेशा अस्वीकार किया है। बड़ी वजह यह है कि भारत हरित ऊर्जा में वैश्विक खिलाड़ी के रूप में उभर रहा है। भारत का तर्क जायज है कि विकासशील देश के रूप में उसके पास रातों-रात जीवाश्म ईंधन त्यागने के लिए जरूरी संसाधनों की कमी है। कोयला अभी भारतीय अर्थव्यवस्था के केंद्र में है, पर हरित प्रौद्योगिकियां अपनाना भी जारी है और चीन अमरीका सहित अधिकांश देशों की तुलना में सौर ऊर्जा को बढ़-चढ़ कर विकसित कर रहा है। भारत 'मेड इन इंडिया' ब्रांड को बढ़ावा देकर एक वैश्विक शक्ति के रूप में उभरने की पुरजोर कोशिश कर रहा है।
आगे की राह
ईयू के पास दो विकल्प हैं- एक बिना बाध्यकारी कानूनी प्रतिबद्धताओं वाले संयमित व्यापारिक समझौते के माध्यम से दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के साथ संबध मजबूत करने के लक्ष्य की पूर्ति या एक अव्यावहारिक एवं अति-महत्त्वाकांक्षी सोच के कारण कोई व्यापारिक समझौता नहीं। देखना यह है कि ईयू दुनिया को 'ग्लोबल साउथ' के नजरिए से देखने की कितनी ईमानदार कोशिश करता है।
बजट 2024-25 में कृषि सुधार की दिशा में उठाए गए कदम (GS 1)
Context :-
भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि और विकास में कृषि की भूमिका को ध्यान में रखते हुए बजट 2024-25 ने कृषि क्षेत्र पर अधिक जोर दिया गया है। कृषि में उत्पादकता और सुदृढ़ता को बढ़ाना बजट द्वारा निर्धारित शीर्ष प्राथमिकताओं में से एक है। उल्लेखनीय है कि बजट में 9 प्राथमिकताएं शामिल है। कृषि और संबंधित गतिविधियों के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपाए आवंटित किए गए हैं, जो 2023-24 के संशोधित अनुमान से 8 प्रतिशत अधिक है।
मछली पालन क्षेत्र में पिछले साल के संशोधित अनुमान की तुलना में बजट में 54 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि पशुपालन और डेयरी उद्योग में 15.5 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। प्राथमिक ध्यान कृषि अनुसंधान, सांख्यिकीकरण, सहयोग, उन्नत मूल्य शृंखलाओं और विविधीकरण पर दिया गया है।
Key Highlight (सुधारात्मक कदम)
🗯️कृषि अनुसंधान में परिवर्तनः
बजट में उत्पादकता बढ़ाने और जलवायु परिवर्तन चुनौतियों का सामना करने के लिए कृषि अनुसंधान की समीक्षा का प्रस्ताव है। सार्वजनिक और बाहरी संस्थानों के विशेषज्ञ इस अनुसंधान की निगरानी करेंगे। इस वर्ष 32 क्षेत्रीय और बागवानी फसलों की 109 उच्च-उपज और जलवायु-संवेदनशील किस्मों को लक्षित किया गया है। कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग का बजट बढ़ाकर 9941 करोड़ रुपए किया गया है।
🗯️सतत कृषि-खाद्य प्रणाली के लिए प्राकृतिक खेतीः
एक सतत कृषि-खाद्य प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए, प्राकृतिक खेती पर मुख्य जोर दिया गया है। इसके लिए एक करोड़ किसानों को दो वर्ष में प्रमाणन और विपणन चिह्न के समर्थन से प्राकृतिक खेती में शामिल किया जाएगा।
इसके अलावा 10000 आवश्यकता-आधारित जैव सामग्री संसाधन केंद्र स्थापित किए जाएंगे। इस कार्यक्रम को वैज्ञानिक संस्थानों और इच्छुक ग्राम पंचायतों की मदद से लागू किया जाएगा। राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के तहत आवंटन को पिछले वर्ष (2022-23) के संशोधित अनुमान 100 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 365 करोड़ रुपए कर दिया गया है।
दालों, तिलहन और सब्जियों पर ध्यान दालों और तिलहनों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के साथ खाद्य और पोषण सुरक्षा की चुनौतियों का समाधान करने के लिए सरकार ने दालों और तिलहनों के उत्पादन को
बढ़ावा देने का प्रस्ताव रखा है। आत्मनिर्भरता उत्पादन, भंडारण और विपणन पहलुओं पर फोकस किया गया है। सब्जी उत्पादन में सुधार और संतुलित आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए, बजट ने प्रमुख उपभोग केंद्रों के पास सब्जी समूह स्थापित करने का प्रस्ताव रखा है। मूल्य श्रृंखला संचालन को मजबूत करने के लिए किसान उत्पादक संगठन और
कृषि उद्यमिता परियोजनाओं को बढ़ावा दिया जाएगा।
🗯️कृषि के लिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचनाः( DPI)
पायलट परियोजना की सफलता से उत्साहित होकर, केंद्र, सरकार राज्यों के साथ मिलकर अगले तीन वर्षों में कृषि के लिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना को लागू करेगी। इस अवधि के दौरान 6 करोड़ किसानों का विवरण प्राप्त किया जाएगा। पांच राज्यों में जन समर्थ-आधारित किसान क्रेडिट कार्ड पेश किए जाएंगे।
बजट ने भूमि सुधारों के हिस्से के रूप में ग्रामीण क्षेत्रों की भूमि के लिए एक विशिष्ट भूमि पार्सल पहचान संख्या या 'भू-आधार' आबंटित करने की भी घोषणा की है, जिसमें भू मानचित्र का डिजिटलीकरण, मानचित्र उपखंडों का सर्वेक्षण, भूमि रजिस्ट्री की स्थापना और इसे किसानों की रजिस्ट्री से जोड़ना शामिल है।
🗯️ मत्स्य क्षेत्रः
झींगा पालन को बढ़ावा देने के लिए, बजट में झींगा प्रजनन स्रोत के लिए न्यूक्लियस ब्रीडिंग सेंटरों का नेटवर्क स्थापित करने का प्रस्ताव रखा है। झींगा पालन, प्रसंस्करण और निर्यात के वित्तपोषण के लिए नाबार्ड समर्थन करेगा। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत आवंटन को पिछले वर्ष के संशोधित अनुमान 1500 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 2352 करोड़ रुपए कर दिया है।
🗯️राष्ट्रीय सहकारिता नीतिः
सहकारी क्षेत्र के व्यवस्थित और सर्वांगीण विकास के लिए, एक राष्ट्रीय सहकारिता नीति विकसित की जाएगी, जिसका उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था की तेजी से वृद्धि और बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर उत्पन्न करना है। प्राथमिक कृषि ऋण समितियों के कंप्यूटरीकरण और सूचना प्रौद्योगिकी हस्तक्षेप योजनाओं के माध्यम से सहकारी समितियों को मजबूत करने के लिए अधिक धन भी आवंटित किया गया है।
कुल मिलाकर, इस बजट में भारतीय कृषि के संरचनात्मक परिवर्तन पर जोर दिया गया है, ताकि टिकाऊ और जलवायु- सुदृढ़ कृषि-खाद्य प्रणाली की ओर तेजी से आगे बढ़ाया जा सके।
Credit : Rajasthan Patrika
One liner snap shots
एलोवेरा नैनो कोटिंग (GS 2)
✍️ अहमदाबाद आइआइटीई द्वारा विकसित
✍️बिना केमिकल, बिना वैक्स सब्जियों-फलों का रंग और स्वाद रहेगा बरकरार।
✍️नैनों कोटिंग को टमाटर, शिमला मिर्च और बैंगन पर प्रयोग किया। इसमें पाया गया कि जिन टमाटर, शिमला मिर्च व बैंगन पर इसकी नैनो कोटिंग की गई थी उनकी सेल्फ लाइफ अपेक्षाकृत गैर नैनो कोटिंग वाले सब्जियों से 25 दिन तक अधिक रही।
ईपीएस आइएनडी एबी (GS 2)
✍️खगोलविदों की अंतरराष्ट्रीय टीम ने जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (जेडब्ल्यूएसटी) की मदद से सूर्य के आकार का एक्सोप्लैनेट. खोजा है।
✍️सुपर बृहस्पति', हाइड्रोजन से भरपूर होने के कारण मानव भविष्य के लिए महत्वपूर्ण
फरविजा फरहान (GS 3)
✍️इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप की पर्यावरण कार्यकर्ता।
