Day 10 Thursday
1. समय प्रबंधन के 3 चरणों का उल्लेख कीजिए। 20W
उत्तर
समय प्रबंधन के निम्नलिखित चरण होते हैं -
1 समय का आयोजन/योजना
2 समय योजना का नियन्त्रण
3 समय योजना का मूल्यांकन
2. समय प्रबंधन की पारेतो विश्लेषण (80/20 नियम) तकनीक से आप क्या समझते हैं ? 50W
उत्तर
पारेतो विश्लेषण (80/20 नियम) :
यह तकनीक उन लक्ष्यों/कार्यों को प्राथमिकता देने में मदद करता है जो समस्या हल करने में सबसे प्रभावी है।
इसके अन्तर्गत यह माना जाता है कि सम्पूर्ण गतिविधियों में से केवल 20 प्रतिशत गतिविधियाँ ही महत्वपूर्ण होती है। अतः 20 प्रतिशत समय के साथ महत्वपूर्ण या सबसे महत्वपूर्ण कार्य ध्यान से किए जाये तो 80 प्रतिशत परिणाम प्राप्त किया जा सकता है। अर्थात 20 प्रतिशत कार्य 80 प्रतिशत परिणामों/लाभ के लिए जिम्मेदार होते है।
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| Day 10 |
3. व्यक्तित्व आकलन की किन्ही 3 विधियों का उल्लेख कीजिए। 20W
उत्तर
किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व को समझने के लिए उद्देश्यपरक औपचारिक प्रयास को व्यक्तित्व का आंकलन/मूल्यांकन कहा जाता है।
इसके अन्तर्गत प्रमुख विधियाँ हैं-
1 आत्म-प्रतिवेदन विधि
3. प्रक्षेपी एवं अर्द्धप्रक्षेपी विधियाँ
३. व्यावहारिक विधि
4. व्यवहार परक विश्लेषण की प्रमुख विधियों का विवरण प्रस्तुत कीजिए। 50W
उत्तर
विभिन्न स्थितियों में व्यक्ति का व्यवहार हमें उसके व्यक्तित्व के बारे में सार्थक सूचनाएँ प्रदान कर सकता है। व्यवहार का प्रेक्षण व्यवहारपरक विश्लेषण के आधार का काम करता है। इसी प्रमुख विधियाँ साक्षात्कार, प्रेक्षण, निर्धारण, नामनिर्देशन, और स्थितिपरक परीक्षण आदि है।
साक्षात्कारः- इसमें मूल्यांकन किए जाने वाले व्यक्ति से बातचीत की जाती है और उससे कुद विशिष्ट प्रश्न पूछे जाते है। साक्षात्कार दो प्रकार के होते है-
1. असंरचित साक्षात्कारः- इसमें साक्षात्कर्ता अनेक प्रकार के प्रश्न व्यक्ति से पूछता है तथा उसके बारे में एक छवि विकसित करने का प्रयत्न करते है।
2. संरचित साक्षात्कारः- इसमें साक्षात्कारकर्ता अत्यंत विशिष्ट प्रकार के प्रश्न पूछे जाते है
प्रेक्षण (observation):- इसमें हम लोगों को ध्यानपूर्वक देखते है तथा उनके प्रति छवि निर्माण करते है। यह व्यक्तित्व मूल्यांकन की अत्यंत परिष्कृत प्रक्रिया है जिसको अप्रशिक्षित लोगों के द्वारा उपयोग में नहीं लाया जा सकता ।
व्यवहारपरक निर्धारण (Rating): शैक्षिक एवं औद्योगिक वातावरण में व्यक्तित्व के मूल्यांकन के लिए प्रायः व्यवहारपरक निर्धारण का उपयोग किया जाता है। इसमें निर्धारणकर्ता निर्धारण किए जाने वाले व्यक्ति को घनिष्ठ रूप से जानते है, उनके साथ लंबी समयावधि तक अतःक्रिया कर चुके होते है अथवा जिनकों प्रेक्षण करने का अवसर उन्हें प्राप्त हो चुका है।
• Halo effect (परिवेश प्रभावी): हम में से अधिकांश लोग किसी एक अनुकूल याप्रतिकुल विशेषकों से अत्यधिक प्रभावति हो जाते है इसी के आधार पर प्रायः योग्यता निर्धारक किसी व्यक्ति के बारे में अपना समग्र निर्णय देता है। इस प्रवृति को परिवेश प्रभाव कहते है।
नाम निर्देशन (Nomination):- इसका उपयोग उन व्यक्तियों के साथ किया जा सकता है जिनमें दीर्घकालिक अतःक्रिया होती रही हो और जो एक-दूसरे को अच्छी तरह से जानते है।
इसमें व्यक्ति को समूह के एक अथवा एक से अधिक व्यक्तियों का चयन करने के लिए कहा जाता है।
इसके बाद व्यक्ति से चुने गए व्यक्तियों के वरण के विशिष्ट कारणों के बारे में पूछा जाता है जिस आधार पर चुने जाने के आधार पर निर्धारण किया जाता है।
स्थितिपरक परीक्षण / स्थितिपरक दबाव परीक्षण (Situational stress test)
कोई व्यक्ति दबावमय स्थितियों में किस प्रकार व्यवहार करता है इसमें व्यक्ति दिए गए कार्य का निष्पादन कुद ऐसे दूसरे लोगों के साथ करना होता है जिनको जस व्यक्ति के र असहयोग करने और उसके निष्पादन में हस्तक्षेप करने का आदेश संष्ठापित होता है।
5. आपके अनुसार साइबर अपराध क्या हैं ? 20W
उत्तर
कम्प्यूटर या नेटवर्क की सहायता से किये गये अपराध साइबर अपराध कहलाते है।
6. भारत में साइबर अपराधों को रोकने के लिए किए गए प्रयासों को बतलाइए। 50W
उत्तर
भारत में साइबर अपराध को रोकने के प्रयास
(i) IT अधिनियम 2000 लागू किया गया।
इस अधिनियम में CERT के गठन का प्रावधान है।
(ii) विभिन्न शहरों में पुलिस विभाग में Anti Cyber Crime Cells का गठन।
(iii) IPv6 लाया गया।
(iv) Central Monitoring System की स्थापना।
(v) National Cyber Security Coordination Center की स्थापना।
(vi) राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति 2013 लायी गयी।
(vii) 2018 में साइबर सुरक्षित भारत पहल।
(viii) राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति 2020 लायी गयी।
(ix) डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक में भी साइबर अपराध की रोकथाम संबंधी प्रावधान किए गए है।
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