Paper 1 Sociology, Management, Auditing And Accounting
Unit ।।।- Sociology syllabus
1 भारत में समाजशास्त्रीय विचारों का विकास
2 भारतीय समाज में जाति और वर्ग प्रकृति, उद्भव, प्रकार्य और चुनौतियां
3 परिवर्तन की प्रक्रियाएं संस्कृतिकरण, पश्चिमीकरण, लौकिकीकरण, भूमण्डलीकरण
4 भारतीय समाज के समक्ष चुनौतियां दहेज़, तलाक एवं बाल विवाह के मुद्दे, भ्रष्टाचार, साम्प्रदायिकता, निर्धनता, बेरोज़गारी, मादक पदार्थ व्यसन, कमज़ोर तबके विशेषकर दलित, वृद्ध और द्विव्यांग।
5 राजस्थान में जनजातीय समुदाय भील, मीणा, गरासिया- समस्याएं व कल्याण।
मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न
1. What is meant by religious Sanskritization?
धार्मिक संस्कृतिकरण से क्या अभिप्राय है? (2 M)
उत्तरः
धार्मिक संस्कृतिकरण वह प्रक्रिया जिसमें निम्न जाति या जनजाति ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य प्रभुजाति के खानपान, रीति-रिवाजों, कर्मकाण्ड, विश्वासों, भाषा, साहित्य को ग्रहण करती है।
उदाहरण-धार्मिक संस्कृतिकरण के बाद निम्न जातियों और जनजातियों द्वारा ब्राह्मणों की तरह पवित्र धागा पहना जाता है और नियमित रूप से मंदिर में आरती और भजन के कार्यक्रम में शामिल होते है।
Q.2 Write an article on the factors promoting Sanskritisation.
संस्कृतिकरण को बढ़ावा देने वाले कारकों पर लेख लिखिए। (5 M)
उत्तरः
भारत की प्राचीन तथा आधुनिक राजनीतिक व्यवस्थाओं ने संस्कृतिकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया है, संसकृक्तिकरण को बढ़ावा देने वाले प्रमुख कारक निम्नलिखित है-
i. यातायात एवं जनसंचार इनके विकास के कारण सामाजिक गतिशीलता में वृद्धि हुई जिसके फलस्वरूप निम्न एवं उच्च जातियों के बीच विचारों का आदान प्रदान हुआ है।
ii. आर्थिक सुधार आर्थिक सुधार के द्वारा पिछड़ी जातियों का उत्थान हुआ है, जिससे वे अपने जीवन स्तर को उच्च जातियों के अनुरूप बनाने लगी है।
iii. सामाजिक सुधार आंदोलन ब्रह्म समाज, आर्य समाज, प्रार्थना समाज एवं गांधीजी के अस्पृश्यता निवारण आंदोलनों ने निम्न जातियों के बीच परिवर्तन की प्रक्रिया को प्रोत्साहित किया है।
iv. नगरीकरण - इसके द्वारा शहरों में जातीय भेदभाव में कमी आई है एवं उच्च जाति एवं प्रभुत्वसम्पन्न जातियों का निम्न जातियों पर नियंत्रण ।शथिल हुआ है।
उपर्युक्त के अलावा संवैधानिक प्रावधानों, शिक्षा, राजनीतिक शक्ति की प्राप्ति, अनुलोम विवाह तथा औद्योगीकरण जैसे कारकों के कारण। संसकृतिकरण को बढ़ावा मिला है।
खण्ड ब- प्रबंधन Syllabus
विपणन की आधुनिक अवधारणा, विपणन मिश्रण उत्पाद, मूल्य, स्थान और संवर्धन, आपूर्ति श्रंखला प्रबंधन, प्रचालन तंत्र, इ-वाणिज्य, इ-विपणन, व्यवसाय तथा निगम आचारनीति
धन के अधिकतमकरण की अवधारणा, वित्त के स्रोत अल्पकालीन तथा दीर्घकालीन, पूँजी संरचना, पूँजी की लागत, लाभों का विभाजन, बैंकिंग एवं गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थान, शेयर बाजार, बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश, विदेशी संस्थागत निवेश
नेतृत्व के सिद्धांत तथा शैलियाँ, समूह व्यवहार, व्यक्तिगत व्यवहार, अभिवृत्ति, मूल्य, टीम निर्माण, अभिप्रेरण के सिद्धांत, संघर्ष-प्रबंधन, समय-प्रबंधन, तनाव-प्रबंधन, प्रशिक्षण, विकास तथा आकलन प्रणाली।
उद्यमिता - उ५न स्टार्टअप्स, यूनिकॉर्न, उद्यम पूँजी, एंजल निवेशक ।
अत्यावश्यक सेवाओं का प्रबंधन शिक्षा प्रबंधन, हेल्थकेयर तथा वैलनेस प्रबंधन, पर्यटन तथा आतिथ्य प्रबंधन ।
मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न
1. निरंकुश नेतृत्व शैली के चार लाभ लिखिए- (2 M)
उत्तर-
निरंकुश नेतृत्व शैली के निम्न लाभ हैं-
1. निर्णय शीघ्र व स्पष्टता से लिए जाते है।
2. कर्मचारियों को आदेश के प्रति सन्तुष्टि होती है।
3. इस शैली में कम शिक्षित कर्मचारियों को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।
4. यह शैली प्रबंधकों के लिए अभिप्रेरणा का स्रोत होती है।
प्रश्न.2 "किसी व्यवसाय का आकार उसकी पूंजी संरचना को प्रभावित करता है।" स्पष्ट कीजिए- (5M)
उत्तर-
पूँजी संरचना का किसी व्यावसायिक संस्था की वित्तीय सुदृढ़ता एवं भावी सफलता पर सीधा प्रभाव डालती है। पूंजी संरचना को एकाधिक कारक प्रभावित करते हैं, जिनमें व्यवसाय का आकार भी प्रमुख है, क्योंकि छोटे आकार की व्यावसायिक संस्थाओं की जोखिम उठाने एवं धन एकत्रित करने की क्षमता कम होती है। इसलिए इनकी कुल पूँजी में अंश पूँजी का भाग अधिक होता है। बड़े आकार की संस्थाओं को अधिक पूँजी की आवश्यकता होती है, जिसे किसी एक साधन से प्राप्त करना सम्भव नहीं होता है।
अतः ऐसी संस्थाओं की पूँजी संरचना में उन सभी स्रोतों को सम्मिलित किया जाता है जिनसे कम लागत एवं कम जोखिम पर आवश्यक पूँजी प्राप्त हो सके। इसके विपरीत, मध्यम आकार वाली व्यावसायिक संस्थाओं की पूँजी संरचना में अंश एवं ऋणपत्र दोनों साधनों को सम्मिलित किया जाता है।
खण्ड स- लेखांकन एवं अंकेक्षण Syllabus
लेखांकन की दोहरा लेखा प्रणाली का सामान्य ज्ञान, वित्तीय विवरण विश्लेषण की तकनीकें, उत्तरदायित्व और सामाजिक लेखांकन ।
अंकेक्षण का अर्थ एवं उद्देश्य, सामाजिक, निष्पत्ति एवं दक्षता अंकेक्षण, सरकारी अंकेक्षण की प्रारम्भिक जानकारी।
निष्पादन बजट एवं शून्य आधारित बजट की सामान्य जानकारी।
मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न
1 दोहरा लेखा प्रणाली की अवधारणाओं का नाम लिखिए- (2 M)
उत्तर- दोहरा लेखाकंन की तीन अवधारणाएँ हैं, जो निम्न हैं-
1. व्यावसायिक इकाई अवधारणा
2. मुद्रा मापन अवधारणा
3. लेखांकन अवधि अवधारणा
2 What is Comparative size financial statement analysis? Explain its main benefits. तुलनात्मक वित्तीय विवरण विश्लेषण क्या है? इसके प्रमुख लाभ बताइए। (5M)
Answer
तुलनात्मकै वित्तीय विवरणों में एक ही व्यावसायिक संस्था के चिट्ठे व लाभ-हानि खाते की समान मदों, मदों के समूह का दो या दो से अधिक वर्षों की सूचनाओं की प्रवृत्ति का अध्ययन हैं।
तुलनात्मक वित्तीय विवरणों के लाभ :
1. तुलनात्मक वित्तीय विवरण के अन्तर्गत परिवर्तनों को दर्शाने के कारण ये प्रवृति का बोध कराते हैं तथा इससे पूर्वानुमान में सहायता वित्तीय समंको का सुगम व सरल प्रस्तुतीकरण होता है एवं तुलना में आसानी रहती हैं।
2. तुलनात्मक वित्तीय विवरण से वित्तीय स्वास्थ्य आदि की जानकारी मिलने से संस्था की शक्ति एवं कमजोरियों की जानकारी हो जाती है। इससे सुधारात्मक कदम उठाये जा सकते है।
3 प्रमुख वित्तीय सांख्यिकी को इनके माध्यम से समझने में आसानी रहती हैं।
4. तुलनात्मक वित्तीय विवरणों' की सहायता से अन्तःफर्म तुलना (intra firm comparison) एवं उद्योग विशेष के औसत से तुलनात्मक दक्षता की जांच हो सकती है।
5. परिवर्तनों के विश्लेषण व प्रवृति की सूचनाओं से पूर्वानुमान व नियोजन में सहायता मिलती हैं।
6. तुलनात्मक विनीय विवरणों के अध्ययन से लेनदार व ऋणदाता को अपने ऋणों की अवधि बढ़ाने में सहायता मिलती हैं। निर्णय लेने में सुगमता महसूस करते है।
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